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दो माह में स्थानीय नीति घोषित करेगी सरकार

रांची : सरकार दो माह में स्थानीय नीति तय कर लेगी. सरकार स्थानीयता को लेकर पिछली सरकार की ओर से बनायी गयी कमेटी की अनुशंसा का अध्ययन कर रही है. मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को सदन में इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा : चालू सत्र में सरकार सर्वदलीय बैठक बुलायेगी. स्थानीय नीति तय करने […]

रांची : सरकार दो माह में स्थानीय नीति तय कर लेगी. सरकार स्थानीयता को लेकर पिछली सरकार की ओर से बनायी गयी कमेटी की अनुशंसा का अध्ययन कर रही है. मंत्री सरयू राय ने शुक्रवार को सदन में इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा : चालू सत्र में सरकार सर्वदलीय बैठक बुलायेगी. स्थानीय नीति तय करने के लिए समाज के विभिन्न वर्ग, बुद्धिजीवी, अधिवक्ता और गैर राजनीतिक संगठनों से राय-विचार ली जायेगी.
सरकार अपनी जिम्मेवारी समझती है. सरयू राय विधायक प्रदीप यादव की ओर से ध्यानाकर्षण के तहत उठाये गये सवालों का जवाब दे रहे थे. प्रदीप यादव ने सवाल किया था कि सरकार स्थानीय नीति की घोषणा कब तक करेगी. झारखंड के बाहर के लोग यहां के गरीब छात्रों का हक मार रहे हैं.
उन्होंने प्लस टू शिक्षक बहाली में हिंदी और संस्कृत विषयों में नियुक्ति का हवाला दिया. कहा कि वर्ष 1976 में बिहार सरकार के प्राथमिक व मध्य विद्यालय शिक्षक नियुक्ति नियमावली को वर्ष 2001 में झारखंड सरकार ने अंगीकार किया था. इसके तहत जिस जिले में नियुक्ति होनी थी, अभ्यार्थी को उस जिला का निवासी होना जरूरी था.
आगे बढ़ रही है सरकार : सरकार की ओर से जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री सरयू राय ने कहा : विधायक जिस 1976 की बिहार सरकार की नियमावली का हवाला दे रहे हैं, उसे वहां की सरकार ने 1991 में हटा दिया. नयी नियमावली बनायी. पूर्व के आदेश निरस्त कर दिये. ऐसे में जब बिहार सरकार ही 1976 के नियम को नहीं मान रही है, तो झारखंड में उसकी प्रासंगिकता कहां बची. प्रभारी मंत्री का कहना था कि विधायक के सवाल में तथ्य और भावना दोनों हैं.
उन्होंने कहा : जहां तक स्थानीयता का सवाल है, तो सरकार उस दिशा में आगे बढ़ रही है. पूर्व की सरकार में भी इसको लेकर प्रयास हुए. 2002 में स्थानीयता के कुछ तथ्यों को हटा कर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को नीति बनाने के लिए कहा था. इस पर अलग-अलग सरकार ने कमेटियां बनायी थीं. पिछली सरकार में बनी कमेटी की भी चार बैठकें हुईं. हमारे पास बैठक की प्रोसिडिंग है. विपक्षी विधायक प्रदीप यादव का कहना था कि राज्य की नौकरियां आरक्षित करने का प्रस्ताव सरकार केंद्र को भेजना चाहती है या नहीं.
प्रभारी मंत्री का जवाब था कि लोक नियोजन समानता का विषय है. यह मामला संसद के अधीन है. संसद की अपनी भूमिका है, इसमें विधानसभा हस्तक्षेप नहीं कर सकती. सरकार अपनी जिम्मेवारी समझ रही है. वाद-विवाद में स्पीकर दिनेश उरांव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सर्वदलीय बैठक बुला रहे हैं, उसके बाद मामला देखा जायेगा.

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