वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड सरकार ने इटखोरी महोत्सव समेत देवघर महोत्सव, वासुकीनाथ महोत्सव, माघी मेला (साहेबगंज) तथा हिजला मेला (दुमका) को राजकीय महोत्सव घोषित किया है. सरकार का मानना है कि झारखंड में सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं स्थानीय कला की विविधता मौजूद है. ऐसे में परंपरागत तरीके से मेला, प्रदर्शनी और महोत्सव मनाने की परिपाटी राज्य भर में रही है. इनके आयोजन को स्थानीय समिति अथवा राज्य सरकार के किसी एक विभाग की ओर से आयोजित किया जाता रहा है. सरकार ऐसे आयोजनों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक और प्रशासनिक सहयोग करती रही है. पर्यटन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गयासरकार ने महोत्सव आयोजन नीति बनाने के लिए पर्यटन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 19 फरवरी को चतरा में आयोजित इटखोरी महोत्सव को राजकीय दरजा दिये जाने की घोषणा की थी. इस संबंध में पर्यटन विभाग के पास प्रस्ताव भी विचाराधीन था. राजकीय महोत्सव के आयोजन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति भी बनायी गयी है. जिला स्तर पर भी समिति बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. राज्य स्तरीय समिति में पर्यटन सचिव, कला संस्कृति खेल-कूद और युवा कार्य विभाग के सचिव और वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव को सदस्य बनाया गया है. यह समिति किसी भी आयोजन को राजकीय आयोजन घोषित करने के पूर्व जिला स्तरीय समिति के प्रस्ताव पर अनुशंसा प्रदान करेगी. जिला स्तरीय समिति में सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी.
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सरकार ने चार महोत्सव को राजकीय महोत्सव घोषित किया
वरीय संवाददाता, रांचीझारखंड सरकार ने इटखोरी महोत्सव समेत देवघर महोत्सव, वासुकीनाथ महोत्सव, माघी मेला (साहेबगंज) तथा हिजला मेला (दुमका) को राजकीय महोत्सव घोषित किया है. सरकार का मानना है कि झारखंड में सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं स्थानीय कला की विविधता मौजूद है. ऐसे में परंपरागत तरीके से मेला, प्रदर्शनी और महोत्सव मनाने की परिपाटी राज्य […]
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