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झारखंड के बजट पर विशेषज्ञ की राय
डॉ रमेश शरण झारखंड सरकार ने बजट पेश किया. विजन सही है. वायदे भी कई किये हैं. लेकिन, समस्या यह है कि राज्य के लिए जो संस्थागत चीजें चाहिए, वह नहीं है. राज्य में जिस तरह गवर्नेस का हाल है, इसमें जो वायदे किये गये हैं. वह पूरा हो पायेगा या नहीं, क्योंकि जो पिछला […]
डॉ रमेश शरण
झारखंड सरकार ने बजट पेश किया. विजन सही है. वायदे भी कई किये हैं. लेकिन, समस्या यह है कि राज्य के लिए जो संस्थागत चीजें चाहिए, वह नहीं है. राज्य में जिस तरह गवर्नेस का हाल है, इसमें जो वायदे किये गये हैं. वह पूरा हो पायेगा या नहीं, क्योंकि जो पिछला इतिहास रहा है, वह काफी बुरा रहा है.
हर वर्ष अनुपूरक बजट लेते हैं, लेकिन खर्च नहीं कर पाते हैं. इस बजट में मौलिक बातों की चिंता नहीं की गयी है. खास कर विस्थापन की समस्या से निबटने का कोई उपाय नहीं किया गया है. पर्यावरण, जंगल की बात करते हैं, लेकिन नदियां खराब हो रही हैं. जमीन खराब हो रहे हैं. इसका उल्लेख नहीं है. लैंड पॉलिसी की बात नहीं हो रही है. विकेंद्रीकरण की बात कर रहे हैं, लेकिन राज्य वित्त आयोग की चर्चा नहीं है.
उच्च शिक्षा को कोचिंग सेंटर का रूप दिया जा रहा है, जबकि शोध को बढ़ावा देने की बात नहीं कर रहे हैं. शोध के लिए कोई चर्चा तक नहीं की गयी. यह खतरनाक है. आधारभूत संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य तो जरूरी है. इन सबमें कुछ न कुछ तो दिया गया है, लेकिन गवर्नेस इंप्रूव करने की बात नहीं है. टैक्स में कैसे सुधार होगा, इसका जिक्र नहीं है. अपने रिसोर्स का क्या होगा. 2014 में लगभग नौ हजार करोड़ राजस्व की बात की, साथ ही 2015 में 15 हजार करोड़ का लक्ष्य की बात की गयी है. आखिर इसका आधार क्या है, यह स्पष्ट नहीं है. कमजोरी को दूर करने की बात होनी चाहिए.
एससीइआरटी मजबूत नहीं हो रहा है. पंचायतों को ट्रेनिंग की बात नहीं हो रही है. राज्य परिषद आयोग बना, लेकिन रिसर्च विंग भी साथ होना चाहिए. स्टेट प्लानिंग या नीति आयोग का गठन होना चाहिए. इसमें इस तरह की कोई बात नहीं है. कुल मिला कर विजन तो है, लेकिन इसको पूरा करने के लिए सपोर्ट कैसे मिलेगा, इसका उल्लेख नहीं है. जेपीएससी, राज्य कर्मचारी आयोग जैसे महत्वपूर्ण विंग खाली हैं. ट्राइबल सब प्लान पर फोकस करना होगा.
केंद्र कर रहा है, तो राज्य सरकार को अपने यहां इस दिशा में कदम उठाना चाहिए था. नदियां शुद्ध करने के लिए क्या करेंगे. सीएसआर पर ट्रस्ट बनायेंगे, लेकिन देखना है कि इसमें क्या रखेंगे. वायदे को धरातल पर उतारने के लिए सिस्टम तैयार करना होगा. मॉनीटरिंग सिस्टम को मजबूत करना होगा.
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