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साहित्य में राष्ट्रीय चेतना समृद्ध करें : डॉ रजिउद्दीन
रांची: रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने कहा कि झारखंडी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना समृद्ध करने की जरूरत है. वे शुक्रवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा ‘झारखंडी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि विभाग […]
रांची: रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने कहा कि झारखंडी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना समृद्ध करने की जरूरत है. वे शुक्रवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा ‘झारखंडी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि विभाग में शिक्षकों की कमी व अन्य समस्याओं के समाधान के लिए प्रयत्नशील हैं.
पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ गिरधारी राम गौंझू ने कहा कि यहां की सभी नौ भाषाओं में राष्ट्रीय चेतना के स्वर भरे पड़े हैं.डॉ रोज केरकेट्टा, डॉ एचएन सिंह, डॉ बीपी केशरी, पूर्व एचओडी डॉ केसी टुडू, अशोक बड़ाईक व अन्य ने वक्तव्य रखे. विभाग की ओर से सेवानिवृत्त प्राध्यापकों व अन्य कर्मचारियों को सम्मानित किया गया.
सेमिनार में डॉ हरि उरांव, डॉ त्रिवेणी नाथ साहु, डॉ उमेश नन्द तिवारी, डॉ सुखदेव साहू, बीरेन्द्र कुमार महतो, इलियास मजीद, अशोक कुमार सारंगी, डॉ बीएन ओहदार, शांति नाग, डॉ अर्चना कुमारी, डॉ इंदिरा बिरूआ, डॉ प्रदीप बोदरा, आदित्य कुमार, सुबास साहू, रितेश कुमार महतो सहित कई प्रतिभागी मौजूद थे. पहले दिन शकुंतला मिश्र, डॉ सिकरादास तिर्की, किरण कुल्लू, डॉ अनिमा हांसदा, डॉ सरस्वती गागराई, अशोक कुमार महतो व अवध बिहारी महतो ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये.
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