यह देश के आदिवासियों, वनाश्रितों व किसानों के जनतांत्रिक अधिकारों के अपहरण की कोशिश है, जिसे कतई बरदाश्त नहीं किया जायेगा़ इसे लागू करने से संविधान की मूल भावना, संविधान की पांचवीं, छठी अनुसूची के प्रावधानों और पेसा व वनाधिकार जैसे जनपक्षीय कानूनों का भी उल्लंघन होगा़.
इस मौके पर राकेश रोशन किड़ो, अरुण तिग्गा, जेवियर कुजूर, फिलिप कुजूर, एलिस चेरोवा, एसबी मल्लिक, कुसुमकांत पन्नाख, समरजीत मिंज सहित विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.