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सीएसआर के खर्च की राशि का खुलासा करें : मुख्यमंत्री

केयरिंग झारखंड-ए सीएसआर कॉनक्लेव 2015 का आयोजन रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कॉरपोरेट कंपनियों, लोक उपक्रमों (पीएसयू) और अन्य कंपनियों से आग्रह किया है कि वे कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत खर्च की जा रही राशि का ब्योरा दें. उन्होंने कहा है कि सरकार ने सीएसआर के तहत कंपनियों और लोक उपक्रमों के […]

केयरिंग झारखंड-ए सीएसआर कॉनक्लेव 2015 का आयोजन
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कॉरपोरेट कंपनियों, लोक उपक्रमों (पीएसयू) और अन्य कंपनियों से आग्रह किया है कि वे कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत खर्च की जा रही राशि का ब्योरा दें. उन्होंने कहा है कि सरकार ने सीएसआर के तहत कंपनियों और लोक उपक्रमों के साथ सहभागिता स्थापित कर अंतिम व्यक्ति को योजना का लाभ पहुंचाने का कार्यक्रम तय किया है.
सीएसआर के तहत हो रहे खर्च को लेकर एक कंफ्यूजन बना हुआ है. सरकार ने कंपनियों से उनके खाते का नंबर नहीं मांगा है. बल्कि सरकार चाहती है कि सीएसआर के तहत हो रहे व्यय की जानकारी मिले. उन्होंने कहा कि सरकार कंपनियों के साथ है. सरकार की मंशा भी सीएसआर के तहत स्पष्ट है.
उन्होंने कहा कि एचइसी, टाटा, डीवीसी, बैंक, मेदिका सिटी और अन्य कंपनियां अपने-अपने क्षेत्र में सामाजिक दायित्व निभा रही हैं. कंपनियां अपने मुनाफे की दो प्रतिशत राशि राज्य के विकास में खर्च करें. मुख्यमंत्री सोमवार को रांची में केयरिंग झारखंड-ए सीएसआर कॉनक्लेव 2015 कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि झारखंड के पिछड़े जिलों में आज भी लोगों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. झारखंड में आज भी 42 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं. एनिमिया, कुपोषण से राज्य की महिलाएं, बच्चे ग्रसित हैं. यह कॉरपोरेट घरानों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोल्हान और संताल परगना के लोग आज भी लाल पानी पीने को विवश हैं. राज्य की एक-एक जनता को झारखंड के विकास में सहभागी बनना होगा. नौकरशाह और मंत्री के बूते ही विकास संभव नहीं है. मौके पर कई लोगों ने विचार रखे.
झारखंड में कॉरपोरेट कंपनियों का सीएसआर खर्च पांच से छह सौ करोड़ : जकारिया
यूनिसेफ के झारखंड प्रभारी जॉब जकारिया ने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियां राज्य में पांच सौ से छह सौ करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं. कॉरपोरेट कंपनियों, पीएसयू द्वारा किये जा रहे खर्च को लेकर आज भी सरकार के आला अधिकारी अनभिज्ञ हैं. उन्हें यह मालूम ही नहीं है कि कंपनियां पोषाहार, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता अभियान, स्कूली शिक्षा में क्या कर रही हैं. श्री जकारिया ने कहा कि राज्य में 40 हजार स्कूल हैं. ऐसे में इन सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं देना कॉरपोरेट कंपनियों के वश की बात नहीं है.

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