रांची: झारखंड सरकार की ओर से राज्य के 4.50 लाख विकलांग जनों (नि:शक्तों) के आर्थिक विकास के लिए प्रतिवर्ष 40 करोड़ रुपये से अधिक की कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही है.
मिली जानकारी के अनुसार इसमें से 75 से 80 फीसदी राशि खर्च हो रही है. इन योजनाओं में नि:शक्त जनों के लिए प्रोत्साहन योजना, छात्रवृत्ति, नि:शक्तों की पहचान और विकलांग जनों के बीच उपकरणों का वितरण शामिल है. प्रत्येक वर्ष समाज कल्याण, महिला और बाल विकास विभाग की ओर से जनजातीय उप योजना, अन्य क्षेत्रीय उप योजना और अनूसुचित जाति, जनजाति विशेष अंगीभूत योजनावाले जिलों में नि:शक्तों की पहचान कर उनकी आजीविका सुधारी जा रही है. लगभग 1.28 लाख विकलांग बच्चों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. प्रत्येक लाभुकों को वर्ष 2011-12 में सरकार की ओर से दो सौ रुपये दिये गये, इसे बढ़ा कर 400 रुपये प्रति माह कर दिया गया है. जनवरी 2013 से 157139 नि:शक्त जनों को स्वामी विवेकानंद नि:शक्त स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना के तहत राशि का भुगतान किया जा रहा है. इस वर्ष इस योजना का आवंटन बढ़ा कर 60 करोड़ कर दिया गया है.
सरकार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार स्पैष्टिक विद्यालय, निराश्रित बच्चों का अनाथालय, मूक बधिर विद्यालय, महिला हेल्प लाइन, नेत्रहीन विद्यालय और ओल्ड एज होम चलाने के लिए 50 से 90 लाख रुपये स्वंयसेवी संस्थानों को दी जाती है. मूक-बधिर बच्चों के लिए गैर सरकारी संस्थानों को 31 लाख रुपये तथा नेत्रहीन विद्यालयों के लिए आठ लाख रुपये की सहायता दी जा रही है.
विकलांग छात्रवृत्ति के तहत 17198 लाभुकों को 50 रुपये से लेकर 260 रुपये की छात्रवृत्ति दी जा रही है. आठवीं के छात्रों को 50 रुपये, स्नातक के छात्रों को 250 रुपये और स्नातकोत्तर या इससे अधिक के छात्रों को 260 रुपये प्रति माह छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है. विकलांग जनों की छात्रवृत्ति का आवंटन भी सरकार ने 73 लाख से बढ़ा कर 80 लाख रुपये कर दिया है. जिलों में विकलांग जनों का आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण करा कर उन्हें पहचान पत्र भी दिया जा रहा है. साथ ही स्वरोजगार संबंधी जागरूकता के उद्देश्य से कार्यशाला भी आयोजित की जाती है. वर्ष 2011-12 में 2462 विकलांग जनों की पहचान कर विशेष उपकरण दिये गये. पलामू और हजारीबाग जिले में गत वित्त वर्ष में उपकरणों के वितरण के लिए कोई राशि नहीं दी गयी.