बुढ़मू . प्रखंड के चकमंे नयाटोली गांव में सोमवार को आदिवासी समाज के तांबा गोत्र के लोगों ने भेड़ा पूजा की रस्म निभायी. इसके तहत एक भेड़ को नहला कर सजाया और पूजा कर उसे गांव में घूमने के लिए छोड़ दिया गया. ग्रामीणों के अनुसार, गांव में घूमते हुए भेड़ जिस जगह पर बैठ जाता है, उस जगह को पूजा स्थल के रूप में चिह्नित किया जाता है और सरहुल के अवसर पर इसी जगह पर दो मुर्गा व एक भेड़ा की बलि दी जाती है. पूजा-पाठ भी किया जाता है. पूजा 12 साल में एक बार की जाती है. इस पूजा के करने से 12 वर्ष तक गांव में अकाल की संभावना समाप्त हो जाती है.सोमवार को हुई पूजा के दौरान जगवइत पहान, चीतू पहान, झिबरा पहान, बिनोद पहान, चमन पहान, करीमन पहान, छेदू पहान, बहादुर पहान, फागू पहान, मकचंद पहान, धुजा पहान, झुबरा पहान, हरिश्चंद्र पहान, कलेश्वर पहान व कपिल पहान सहित अन्य मौजूद थे.
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चकमें नयाटोली गांव मेंं हुई भेड़ पूजा
बुढ़मू . प्रखंड के चकमंे नयाटोली गांव में सोमवार को आदिवासी समाज के तांबा गोत्र के लोगों ने भेड़ा पूजा की रस्म निभायी. इसके तहत एक भेड़ को नहला कर सजाया और पूजा कर उसे गांव में घूमने के लिए छोड़ दिया गया. ग्रामीणों के अनुसार, गांव में घूमते हुए भेड़ जिस जगह पर बैठ […]
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