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‘उत्तराधिकार कर’ नहीं, संस्कृति में बदलाव चाहते हैं राजन

मुंबई. रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उत्तराधिकार कर के विचार का विरोध करते हुए ‘सांस्कृतिक बदलाव’ की वकालत की है. उन्हांंेने कहा कि इससे अमीरांे को धर्मार्थ कार्यों या समाज को वापस देने की ओर खींचा जा सकेगा. राजन ने सप्ताहांत पणजी मंे डीडी कौशांबी फेस्टिवल ऑफ आडियाज मंे मुख्य वक्ता के रूप […]

मुंबई. रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उत्तराधिकार कर के विचार का विरोध करते हुए ‘सांस्कृतिक बदलाव’ की वकालत की है. उन्हांंेने कहा कि इससे अमीरांे को धर्मार्थ कार्यों या समाज को वापस देने की ओर खींचा जा सकेगा. राजन ने सप्ताहांत पणजी मंे डीडी कौशांबी फेस्टिवल ऑफ आडियाज मंे मुख्य वक्ता के रूप मंे कहा, ‘मेरी दलील है कि ‘उत्तराधिकार कर’ के बजाय हमंे संस्कृति बदलनी चाहिए. इसे ऐसा बनाया जाना चाहिए कि लोग अपने बच्चांे के लिए अधिक संपदा नहीं छोड़ें.’विशेष रूप से ‘उत्तराधिकार कर’ के बारे मंे राजन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि लोगांे को नीचे लाने के बजाय हमारा ध्यान उन्हें ऊपर ले जाने की ओर होना चाहिए.’ उन्हांेने कहा, ‘हम कैसे और अधिक लोगांे को अवसर दे सकेंगे. उत्तराधिकार कर से समाज मंे सिर्फ वकीलांे को फायदा होगा.’ राजन ने कहा, ‘नाटकीय संपदा कर से वकीलांे को राजस्व मिलेगा, क्यांेकि वे तरीका बतायेंगे कि कैसे इसे छुपाया जा सकता है, जिससे उस पर टैक्स न लगे.’ उनकी यह टिप्पणी कुछ हलकांे से बजट मंे उत्तराधिकार कर लगाने की मांग पर आयी है. इसका मतलब, जिनके पास विरासत मंे बहुमूल्य संपत्ति आती है, उन पर टैक्स लगाने से है.

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