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डीएसपी ने दिया गिरफ्तारी का आदेश, एसपी ने दी क्लीन चिट

अमन तिवारी, रांची नगड़ी में पॉली हाउस निर्माण में हुई गड़बड़ी के मामले में वेजफेड के तत्कालीन निदेशक रमोद नारायण झा और ठेकेदार के खिलाफ पंडरा ओपी में दर्ज मामले में पूर्व में कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी का निर्देश दिया है, जबकि उसी केस में अब सिटी एसपी अनूप बिरथरे ने […]

अमन तिवारी, रांची
नगड़ी में पॉली हाउस निर्माण में हुई गड़बड़ी के मामले में वेजफेड के तत्कालीन निदेशक रमोद नारायण झा और ठेकेदार के खिलाफ पंडरा ओपी में दर्ज मामले में पूर्व में कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी का निर्देश दिया है, जबकि उसी केस में अब सिटी एसपी अनूप बिरथरे ने दोनों को राहत दे दी है. सिटी एसपी ने यह तथ्य दिया है कि दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी में शामिल होने से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं है.
रमोद नारायण झा पर आरोप था कि उन्होंने बिना एकरारनामा के मेसर्स ग्रीन टेकर इंडिया लिमिटेड के उमा शंकर सिंह को नगड़ी में पॉली हाउस निर्माण करने का ठेका 2.08 करोड़ में दे दिया. वहीं फरजी बिल के सहारे गलत ढंग से ठेकेदार को भुगतान किया. इस केस में सुपरविजन कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ट कर रहे थे. उन्होंने धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप सही पाते हुए दोनों की गिरफ्तारी का आदेश दिया था.
बाद में तत्कालीन सिटी एसपी ने दोनों के आरोप गठन को लेकर कुछ बिंदुओं पर फिर से अनुसंधान का निर्देश कोतवाली डीएसपी को दिया था. कोतवाली डीएसपी ने फिर से मामले की जांच की. फिर उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि दोनों पर आरोप प्रमाणित नहीं होते. भविष्य में साक्ष्य मिलने की संभावना नहीं है. डीएसपी के इसी अनुशंसा पर सिटी एसपी ने दोनों को क्लीन चिट दे दी है.
क्या है सिटी एसपी की जांच रिपोर्ट में
सिटी एसपी की रिपोर्ट के अनुसार प्रधान सचिव कृषि एवं गन्ना विकास विभाग के आदेशानुसार मेसर्स ग्रीनटेक इंडिया को चेक संख्या 057798, 042376 से कुल 57,74,832 रुपये का भुगतान किया गया था. अनुसंधान के क्रम में पॉली हाउस का निरीक्षण किया गया.
वहां मौजूद केयर टेकर से पूछताछ करने पर पता चला कि काफी दिनों से काम बंद है. जांच रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत नेशनल वेजिटेबल इनिसेटिव फोर अबरन कलस्टर (एनभीआइ) भारत सरकार की केंद्र प्रायोजित योजना है. सरकार द्वारा निर्गत राज्यादेश के अनुसार इस योजना का स्टेट नोडल ऑफिसर कृषि निदेशक एवं सचिव कृषि गन्ना विकास विभाग है. एनवीआइ योजना के राज्यादेश के अनुसार पॉली हाउस का निर्माण कराया जाना था. टेंडर के बाद ही ग्रीनटेक इंडिया को काम दिया गया था. इस काम के लिए तकनीकी स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है.
इसके बावजूद राज्य कृषि विपणन परिषद के मुख्य अभियंता से पोस्ट फैक्टो स्वीकृति ले ली गयी थी. भारत सरकार के मार्ग निर्देशिका में निर्धारित मूल्य प्रति वर्ग मीटर दर 935 रुपये निर्धारित है. इसके बावजूद इससे कम दर 680 में काम दिया गया था. जहां तक काम के एवज में ठेकेदार को रुपये देने की बात है, तो रुपये कृषि एवं गन्ना विकास विभाग के सचिव के आदेश पर दिया गया था. रुपये भुगतान करने से पहले पशुपालन विभाग के अभियंता द्वारा मापी पुस्तिका तैयार की गयी थी. इसलिए रमोद नारायण झा और उमा ठेकेदार उमा शंकर सिंह पर लगाये गये आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं.
विभागीय स्तर पर जांच होने के बाद दर्ज हुआ था केस
सरकार के निर्देश पर तत्कालीन उप सचिव दिलीप कुमार झा, रतन कुमार और राम नाथ प्रसाद ने इसकी जांच की. जांच में पाया गया कि बिना प्राक्कलन और तकनीकी के ही नगड़ी में पाली हाउस का निर्माण हुआ. ग्रीन टेक के उमा शरण सिंह को लाभ पहुंचाने के लिए तब तक री-टेंडर कराया गया, जब तक फरजी कागजात के आधार पर कार्य आवंटित नहीं हो गया. बाद में अधूरे कार्य को पूर्ण दिखते हुए रुपये का भुगतान किया गया. जांच रिपोर्ट के आधार पर सहयोग समिति के उप निबंधक ने पंडरा ओपी में दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

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