Advertisement
दरजा व सुविधाओं से वंचित हैं राज्य के आयोग
बाल अधिकार संरक्षण आयोग को आज तक नहीं मिला दरजा रांची : राज्य में आयोग तो बन गये, पर दरजा और सुविधाओं के नाम पर आज भी पिछड़ा हुआ है. जबकि, अन्य राज्यों में आयोग को नियमावली के अनुसार दरजा भी मिला और वहां कार्य करनेवाले सदस्यों व कर्मचारियों को वेतन भी दिया जा रहा […]
बाल अधिकार संरक्षण आयोग को आज तक नहीं मिला दरजा
रांची : राज्य में आयोग तो बन गये, पर दरजा और सुविधाओं के नाम पर आज भी पिछड़ा हुआ है. जबकि, अन्य राज्यों में आयोग को नियमावली के अनुसार दरजा भी मिला और वहां कार्य करनेवाले सदस्यों व कर्मचारियों को वेतन भी दिया जा रहा है.
झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को आज तक दरजा नहीं मिला है. यहां के अध्यक्ष व सदस्यों को वेतन व सुविधाएं भी नहीं मिलती. सिर्फ जिम्मेवारी तय है पर वेतन तय नहीं है. झारखंड ने बिहार की नियमावली की तर्ज पर आयोग का गठन किया है. लेकिन, बिहार की तर्ज पर न तो सुविधाएं मिल रही है न ही वेतनमान.
खुद के खर्च से करते हैं निरीक्षण
यहां अध्यक्ष समेत सारे सदस्य खुद के पैसे से जिलों में निरीक्षण करते हैं. जबकि, अन्य राज्यों में आयोग के अध्यक्ष को मुख्य सचिव के समतुल्य माना गया है और वेतन भी मुख्य सचिव का ही मिल रहा है. वहीं सदस्यों को सचिव का दरजा दिया गया है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग में नियमित कर्मचारी भी नहीं हैं. जब-जब सरकार बनती है, तब-तब अध्यक्ष समेत सारे सदस्य सरकार से मिल कर परेशानियों को उनके सामने रखते हैं. पर, केवल आश्वासन ही मिलता है. इस आयोग की स्थापना वर्ष 2012 में हुई थी.
कई बार लिखा गया नियमावली में संशोधन के लिए: आयोग की अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा द्वारा सरकार को नियमावली में संशोधन करने के लिए लिखा गया. इसको लेकर राज्यपाल के सलाहकार मधुकर गुप्ता, पूर्व मंत्री विमला प्रधान, अन्नपूर्णा देवी के अलावा पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती व विभागीय सचिव को पत्र के माध्यम से सारी जानकारी भी दी गयी, पर अब तक कुछ नहीं हुआ.
अन्य राज्यों में क्या है प्रावधान
उत्तराखंड: आयोग के अध्यक्ष को मुख्य सचिव के समकक्ष व सदस्यों को सचिव के समकक्ष हैं. वेतनमान मुख्य सचिव के वेतन के समतुल्य है वहीं सदस्यों को राज्य सरकार के सचिव के वेतन के समतुल्य है. राज्य सरकार के बराबर सारी सुविधाएं भी मिल रही हैं.
बिहार: आयोग के अध्यक्ष को मुख्य सचिव के समकक्ष व सदस्यों को सचिव के समकक्ष हैं. वेतनमान मुख्य सचिव के वेतन के समतुल्य है वहीं सदस्यों को राज्य सरकार के सचिव के वेतन के समतुल्य है. राज्य सरकार के बराबर सारी सुविधाएं भी मिल रही हैं.
झारखंड: कोई दरजा उल्लेखित नहीं है. धारा 20 के उपबंधों के आलोक में अध्यक्ष को 20 हजार नियत वेतन मिलेगा. वहीं सदस्यों को दस हजार रुपये दिये जायेंगे. इसके अलावा राज्य सरकार के बराबर सुविधाओं का कोई प्रावधान नहीं है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग
अध्यक्ष : रूप लक्ष्मी मुंडा
सदस्य: सुनील कुमार, रंजना चौधरी, संजय मिश्र, विनीता देवी व डॉ मनोज कुमार.
सदस्यों को 14 वर्ष से वेतन नहीं मिला
यही कहानी राज्य अल्पसंख्यक आयोग की भी है. यहां कुल सात सदस्य हैं, जबकि सदस्यों की संख्या आठ होनी चाहिए. एक उड़िया सदस्य नहीं हैं. इस आयोग का गठन वर्ष 2001 में ही हो गया था. यहां के सदस्यों को आज तक वेतन नहीं मिला. जबकि, बिहार में अल्पसंख्यक आयोग का गठन वर्ष 2003 में हुआ. यहां के अध्यक्ष को मंत्री व उपाध्यक्ष को राज्य मंत्री का दरजा दिया गया है. पर झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग को दरजा भी नहीं मिला.
आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों के नाम : अध्यक्ष- शाहिद अख्तर, सदस्य -सैमुएल गुड़िया, सरदार शैलेंद्र सिंह, मौलाना असगर मिसवाही, बरकत अली, कल्याण भट्टाचार्या, रसीद अनवर व एकरारुल हसन हैं.
कई बार हमने सरकार को पत्र भी लिखा है. पर अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
शाहिद अख्तर, अध्यक्ष राज्य अल्पसंख्यक आयोग
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement