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जेपीएससी ने किया नियुक्ति करने व प्रोन्नति देने से इनकार
विवि शिक्षकों, प्राचार्यो की कमी रहेगी बरकरार एक हजार शिक्षकों, अधिकारियों व प्राचार्यो की नियुक्ति रुकी विवि अधिकारियों की भी नियुक्ति नहीं करेगा जेपीएससी आयोग ने कहा, सिविल सर्वेट नहीं हैं विवि शिक्षक व अधिकारी संजीव सिंह रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने राज्य के विवि के शिक्षकों, अधिकारियों व प्राचार्यो की नियुक्ति […]
विवि शिक्षकों, प्राचार्यो की कमी रहेगी बरकरार
एक हजार शिक्षकों, अधिकारियों व प्राचार्यो की नियुक्ति रुकी
विवि अधिकारियों की भी नियुक्ति नहीं करेगा जेपीएससी
आयोग ने कहा, सिविल सर्वेट नहीं हैं विवि शिक्षक व अधिकारी
संजीव सिंह
रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने राज्य के विवि के शिक्षकों, अधिकारियों व प्राचार्यो की नियुक्ति करने के इनकार कर दिया है. साथ ही विवि के शिक्षकों को प्रोन्नति देने से भी इनकार कर दिया है. आयोग ने विवि अधिनियम 2002 के अंतर्गत झारखंड लोक सेवा आयोग की भूमिका स्पष्ट करते हुए नियुक्ति व प्रोन्नति करने से इनकार किया है और इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी है.
आयोग के इस फैसले से रांची विवि, विनोबा भावे विवि हजारीबाग, सिदो-कान्हू मुरमू विवि दुमका, नीलांबर-पीतांबर विवि डालटनगंज व कोल्हान विवि, चाईबासा में व्याख्याता, रीडर व प्रोफेसर सहित प्राचार्यो व अधिकारियों की लगभग एक हजार नियुक्तियां फंस गयी हैं. इसके अलावा इन विश्वविद्यालयों में लगभग पांच सौ शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला भी लटक गया है.
आयोग के सचिव ने सरकार को भेजे पत्र में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 320 (3) के अंतर्गत जेपीएससी सिर्फ सिविल सर्विस/सिविल पोस्ट के संबंध में परामर्श के लिए अधिकृत है, लेकिन विश्वविद्यालय के शिक्षक/ पदाधिकारी सिविल सर्वेट नहीं हैं. संविधान के अनुच्छेद 321 के अंतर्गत लोक सेवा आयोग को नियमानुसार व राज्य सरकार द्वारा गठित किसी लोकल ऑथोरिटी या निकाय की सेवा संबंधी कार्य सौंपे जा सकते हैं. विवि के शिक्षकों/ अधिकारियों से संबंधित कार्य इसी प्रावधान के तहत आते हैं. आयोग ने कहा है कि विवि के संशोधित एक्ट द्वारा आयोग को परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार जेपीएससी संविधान के अनुच्छेद 320 के अंतर्गत कार्य करनेवाली संस्था है, जिसे विवि/महाविद्यालयों के शिक्षकों व पदाधिकारियों की अनुशंसा करने की शक्ति प्रदत्त है.
इस परिभाषा में संविधान के अनुच्छेद 321 का प्रसंग नहीं है. जहां विवि अधिनियम की धारा 36 व 41 के परिनियम गठन के प्रावधानों का प्रश्न है, वैसे परिनियम जिसमें विवि व महाविद्यालयों के शिक्षकों व पदाधिकारियों की नियुक्ति व प्रोन्नति का प्रावधान है. लोक सेवा आयोग का परामर्श विधि सम्मत होगा. यदि सरकार चाहे तो झारखंड लोक सेवा आयोग के परामर्श से विवि अधिनियम का संशोधन कर सकती है. सचिव के अनुसार नियम व अधिनियम के अभाव में राज्य के विवि से विभिन्न शैक्षणिक/प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति के लिए प्राप्त अधियाचनाओं पर यहां से कार्रवाई संभव नहीं हो पा रही है.
विवि सेवा आयोग का गठन ही वैकल्पिक उपाय
जेपीएससी के इस फैसले से पूर्व की नियुक्ति व प्रोन्नति पर प्रश्न चिह्न् लग गया है. वहीं नयी नियुक्ति व प्रोन्नति के लिए अब सरकार को एक्ट में बदलाव लाना होगा. या फिर सरकार द्वारा विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन करना होगा. इस आयोग में विवि से जुड़े कार्य ही होंगे.
राज्य भर के 500 से अधिक शिक्षकों की प्रोन्नति भी फंसी
सरकार चाहे, तो विवि अधिनियम मेंसंशोधन
कर सकती है
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