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शोषण के खिलाफ मुखर हों

रांची: स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में बुधवार को मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर विचार गोष्ठी हुई. गोष्ठी का विषय था- प्रेमचंद और स्त्री विमर्श. गोष्ठी में हिंदी व उर्दू साहित्य से जुड़े विद्वानों ने अपने विचार रखे. डॉ किरण ने कहा कि प्रेमचंद ने महिलाओं की स्थिति का चित्रण अपनी विभिन्न कहानियों में किया. प्रेमचंद के […]

रांची: स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में बुधवार को मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर विचार गोष्ठी हुई. गोष्ठी का विषय था- प्रेमचंद और स्त्री विमर्श. गोष्ठी में हिंदी व उर्दू साहित्य से जुड़े विद्वानों ने अपने विचार रखे. डॉ किरण ने कहा कि प्रेमचंद ने महिलाओं की स्थिति का चित्रण अपनी विभिन्न कहानियों में किया. प्रेमचंद के पात्र में महिलाएं सीधी, भोली, आदर्शवादी थी, तो कई पात्र में विद्रोही भी. उनके द्वारा उठाये गये मुद्दे आज भी प्रासंगिक है.

उन्होंने कहा कि महिलाओं के शोषण के खिलाफ स्वर को और मुखर करने की जरूरत है. डॉ माया प्रसाद ने कहा कि स्त्री मुक्ति के लिए सबसे पहले आवाज उठाने वाले साहित्यकारों में थे प्रेमचंद. उन्होंने धनिया जैसे पात्र की रचना की. जिसमें प्रतिरोध के स्वर थे. खगेंद्र ठाकुर व विद्याभूषण ने भी प्रेमचंद की रचनाओं को उद्धृत करते हुए स्त्रियों की समस्याओं पर प्रकाश डाला. इससे पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए अनिल अंशुमन ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने समय में सामाजिक स्थितियों, किसानों, दलितों व महिलाओं के सवाल को एक सरोकार के तहत उठाया. मिथिलेश, डॉ जमशेद कमर सहित अन्य ने भी संबोधित किया.

कार्यक्रम में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वी नंदन पांडेय समेत कई छात्र-छात्रएं मौजूद थे. आयोजन झारखंड जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील लेखक मंच व इप्टा के तत्वावधान में किया गया था.

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