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पहले 11 हजार से अधिक फुटपाथ दुकानदारों को उपलब्ध करायें जगह, फिर करें जाममुक्त शहर की कल्पना

रांची: राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर जिला प्रशासन से लेकर ट्रैफिक पुलिस तक प्रयासरत है. यातायात व्यवस्था सुगम बनाने के लिए प्रतिदिन शहर के विभिन्न सड़कों से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जारी है. नो पार्किग पर खड़े वाहनों को उठाया जा रहा है. परंतु, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था जस की तस […]

रांची: राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर जिला प्रशासन से लेकर ट्रैफिक पुलिस तक प्रयासरत है. यातायात व्यवस्था सुगम बनाने के लिए प्रतिदिन शहर के विभिन्न सड़कों से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जारी है. नो पार्किग पर खड़े वाहनों को उठाया जा रहा है.

परंतु, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. शहर में जाम को बढ़ावा देनेवालों में फुटपाथ दुकानदारों का अहम रोल है. इन दुकानदारों को सड़क से हटाने का जिम्मा जिस नगर निगम के पास था, लेकिन निगम अब तक अपनी जिम्मेवारी से भागता रहा है.

आज निगम की लापरवाही का ही नतीजा है कि शहर में दिनों दिन फुटपाथ दुकानदारों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसका खामियाजा लोगों को जाम के रूप में भुगतना पड़ रहा है. केंद्र सरकार ने फुटपाथ दुकानदारों के हित में वर्ष 2013 में पथ विक्रेता अधिनियम को मंजूरी दी थी. इस अधिनियम के तहत निगम को सर्वे कर फुटपाथ दुकानदारों को सरकारी भूमि पर मूलभूत सुविधा देकर उन्हें बसाना था.

एक भी दुकानदार को उपलब्ध नहीं स्थायी ठिकाना
नगर निगम द्वारा वर्ष 2012 में फुटपाथ दुकानदारों को लिए 13 वेंडिंग जोन का चयन किया गया था. इनके लिए जयपाल सिंह स्टेडियम का पूर्वी भाग, सर्वे मैदान, नागा बाबा खटाल, पुरुलिया रोड, रांची रेलवे स्टेशन रोड, हटिया रेलवे स्टेशन रोड, बरियातू रोड, हरमू आवास बोर्ड की जमीन, नामकुम रेलवे स्टेशन व रिम्स के समीप जगह चिह्न्ति किये गये थे. परंतु, अब तक एक भी दुकानदारों को स्थायी ठिकाना निगम ने नहीं उपलब्ध कराया. गौर करनेवाली बात है कि यदि सिर्फ जयपाल सिंह स्टेडियम के पूर्वी भाग में फुटपाथ दुकानदारों को बसाया जाता, तो मेन रोड को फुटपाथ दुकानदारों से होनेवाले जाम से मुक्ति मिल जाती.
अब तक नहीं हुआ दुकानदारों का सर्वे
रांची नगर निगम के अधिकारी इन दुकानदारों को बसाने को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर निगम ने अब तक शहर के इन दुकानदारों का सर्वे तक नहीं करवाया है. वर्ष 2013 में निगम के तात्कालीन सीइओ दीपांकर पंडा ने इन दुकानदारों को 250 रुपये लेकर फोटो पहचान पत्र जारी करने का आदेश दिया था. परंतु, 2015 आने के बाद भी इन दुकानदारों का सर्वे नहीं हुआ है.
यह होता फायदा
नगर निगम यदि इन दुकानदारों को स्थायी रूप से जगह उपलब्ध करा देता, तो आज शहर की सड़कों पर रोजाना लगनेवाले जाम से शहर को मुक्ति मिलती. फुटपाथ दुकानदारों को रोज-रोज की किचकिच से निजात मिलती. इन दुकानदारों को एक जगह बसाये जाने से आम लोग भी शहर के एक निर्धारित स्थल से अपने जरूरी सामान की खरीदारी कर पाते.
नगर निगम का रवैया फुटपाथ दुकानदारों के प्रति नकारात्मक है. निगम चाहता, तो आज शहर के फुटपाथ दुकानदारों के पास स्थायी ठिकाना होता. परंतु निगम चाहता ही नहीं है कि इन दुकानदारों को स्थायी ठिकाना मिले.
कौशल किशोर
संस्थापक अध्यक्ष झारखंड शिक्षित बेरोजगार फुटपाथ दुकानदार महासंघ

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