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केंद्रीय कृषि मंत्री आज रांची में, करेंगे समीक्षा
राज्य गठन के14 साल बाद भी कृषि विभाग का अपना कुछ नहीं खाद, बीज, पानी सब कुछ दूसरों के भरोसे रांची : केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह शनिवार को रांची आ रहे हैं. वह मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ मिल कर कृषि योजनाओं की समीक्षा करेंगे. राज्य में चल रही केंद्र प्रायोजित स्कीम की […]
राज्य गठन के14 साल बाद भी कृषि विभाग का अपना कुछ नहीं
खाद, बीज, पानी सब कुछ दूसरों के भरोसे
रांची : केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह शनिवार को रांची आ रहे हैं. वह मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ मिल कर कृषि योजनाओं की समीक्षा करेंगे. राज्य में चल रही केंद्र प्रायोजित स्कीम की समीक्षा भी होगी. एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय के कार्यकलाप पर भी चर्चा होने की उम्मीद है. वैसे राज्य गठन के 14 साल बाद भी कृषि विभाग का अपना कुछ नहीं है.
अपना फॉर्म है लेकिन तैयार नहीं होते हैं बीज
हर साल सरकार रबी और खरीफ मौसम में करीब 60 करोड़ रुपये का बीज खरीदती है. राज्य में करीब-करीब सभी जिलों में कृषि विभाग का अपना फॉर्म है, लेकिन वहां बीज तैयार नहीं होते हैं. फॉर्म की स्थिति बहुत ही खराब है. राज्य सरकार के पास जैविक खेती करने के लिए अपना खाद भी नहीं है.
इसके लिए भी राज्य निजी एजेंसियों पर निर्भर है. हर साल राज्य में खेती के लिए बारिश का इंतजार करना पड़ता है. सिंचाई का उचित साधन नहीं होने के कारण 90 फीसदी जमीन पर खरीफ की खेती होती है.
बदहाल हो गया है एक मात्र विश्वविद्यालय
राज्य का एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय ( बिरसा कृषि विश्वविद्यालय) बदहाल हो गया है. यहां से पढ़नेवाले विद्यार्थियों को नौकरी भी नहीं मिल रही है. दो साल से वेटनरी कॉलेज में नामांकन बंद है. वानिकी संकाय के एक भी बैच के विद्यार्थी को अब तक नौकरी नहीं मिली है.
संस्थान में वित्तीय अनियमितता और अन्य विसंगतियों के कारण एक कुलपति को कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही हटा दिया गया है. राज्य में कई अन्य कृषि व पशुपालन महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास है. कृषि महाविद्यालय और वानिकी संकाय में सीटें आज भी खाली रह जाती हैं.
वेटनरी कॉलेज में मात्र 20 शिक्षक
रांची वेटनरी कॉलेज में अभी मात्र 20 शिक्षक ही हैं. राज्य में शिक्षकों का कुल स्वीकृत पद 89 है. कई विभागों में एक भी शिक्षक नहीं है. 40 विद्यार्थियों के नामांकन के लिए इतना पद स्वीकृत हुआ है. कॉलेज में न्यूट्रिशन (पशु पोषण) विभाग में एक भी शिक्षक नहीं हैं. अस्पताल की स्थिति भी काफी जजर्र है. पशुओं का आना कम हो गया है.
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