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पर्यावरण व उद्योग में संतुलन जरूरी : अन्नपूर्णा देवी

रांची: राज्य भर में स्पंज आयरन के 50 कारखाने हैं. इन कारखानों से होने वाले प्रदूषण पर सरकार ने चिंता जतायी है. सरकार का मानना है कि उद्योग और पर्यावरण में संतुलन आवश्यक है. उद्योग जगत प्रदूषण के मानकों का पालन करें और प्रदूषण नियंत्रण विभाग रेगुलेटर के बजाय सलाहकार की भूमिका निभाये तो यह […]

रांची: राज्य भर में स्पंज आयरन के 50 कारखाने हैं. इन कारखानों से होने वाले प्रदूषण पर सरकार ने चिंता जतायी है. सरकार का मानना है कि उद्योग और पर्यावरण में संतुलन आवश्यक है. उद्योग जगत प्रदूषण के मानकों का पालन करें और प्रदूषण नियंत्रण विभाग रेगुलेटर के बजाय सलाहकार की भूमिका निभाये तो यह संभव है. उद्योग विभाग द्वारा होटल कैपिटोल हिल में आयोजित स्पंज आयरन तकनीक और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय पर आयोजित एकदिवसीय सेमिनार में यह विचार व्यक्त किये गये.

मुख्य अतिथि अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि सकारात्मक सोच के साथ पर्यावरण और उद्योग में संतुलन स्थापित करने की जरूरत है. झारखंड में जितना खनिज भंडार है, उसकी तुलना में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं. एमओयू हुए, लोग आये भी और चले भी गये. झारखंड में उद्योग लगना चाहिए, पर मानकों का भी पालन होना चाहिए. स्पंज आयरन उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए इएसपी मशीन लगी होती है, पर इसे चलाया नहीं जाता. स्थिति यह है कि कोडरमा के खेत भी प्रदूषित हो चुके हैं. घरों में डस्ट जमा रहता है. ग्लोबल वार्मिग की समस्या को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी उपाय किये जाने चाहिए.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष मणिशंकर ने कहा कि गिरिडीह, कोडरमा और रामगढ़ में सबसे ज्यादा स्पंज आयरन प्लांट हैं. इन जिलों में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है. कारखानों में इएसपी तो नहीं चलाये जाते, हाउसकीपिंग की व्यवस्था नहीं होती, पक्की सड़क भी नहीं बनायी गयी है. वाटर स्पिंकलर भी नहीं रखे जाते. कोलियरी से उड़ने वाले डस्ट से वायू प्रदूषण होता है. गिरिडीह में बच्चों की आंखों पर इसका असर पड़ रहा है. स्थिति यह है कि स्पंज आयरन प्लांट के मालिक खुद महीनों प्लांट नहीं जाते. अध्यक्ष ने कहा कि राज्य के विकास के लिए उद्योग जरूरी है पर पर्यावरण की सुरक्षा भी अति महत्वपूर्ण है. दोनों में सामंजस्य की जरूरत है.

उद्योग सचिव एपी सिंह ने कहा कि हाल के दिनों में इस्पात की मांग बढ़ी है. कारण है कि चीन ने अपने इस्पात उत्पादन को दस गुणा बढ़ा दिया है. अभी ग्लोबल मंदी का दौर है. इस्पात की कीमत नीचे जा रही है. स्पंज आयरन उद्योग से झारखंड के लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिला है. स्पंज आयरन उद्योगों से प्रदूषण फैलता है, पर इसका समाधान भी है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को केवल रेगुलेटर की भूमिका ही नहीं बल्कि सलाहकार के रूप में कार्य करना चाहिए. उद्योग को प्रदूषणरोधी उपाय बताकर इसे लागू करायें. उद्योग निदेशक पूजा सिंघल ने स्वागत भाषण दिया. उद्यमियों की ओर से गुरुविंदर सिंह सलूजा ने इस क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर चेंबर अध्यक्ष रंजीत टिबड़ेवाल समेत अन्य उद्यमी भी मौजूद थे.

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