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प्रसव के समय अधिक ब्लीडिंग खतरनाक : डॉ चटर्जी

फोटो—कौशिकबीएनआर में आयोजित सेमिनार में शामिल हुए डॉक्टरलाइफ रिपोर्टर @ रांचीप्रसव के समय अधिक ब्लीडिंग (पोस्ट पाटम हैम्ब्रेज) खतरनाक होता है. महिलाओं में प्रसव के समय होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण यह भी है. लेकिन सही तकनीक और नियमों का पालन किया जाये, तो मौत को कम किया जा सकता है. डॉक्टरों को […]

फोटो—कौशिकबीएनआर में आयोजित सेमिनार में शामिल हुए डॉक्टरलाइफ रिपोर्टर @ रांचीप्रसव के समय अधिक ब्लीडिंग (पोस्ट पाटम हैम्ब्रेज) खतरनाक होता है. महिलाओं में प्रसव के समय होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण यह भी है. लेकिन सही तकनीक और नियमों का पालन किया जाये, तो मौत को कम किया जा सकता है. डॉक्टरों को भी नियमों की जानकारी होनी चाहिए. ये बातें कोलकाता के डॉक्टर आलोकेंदु चटर्जी ने कहीं. वे रविवार को बीएनआर चाणक्य में रांची ऑब्स एंड गाइनी सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि महिलाओं में कोरियोकारसिनोमा (एक प्रकार का कैंसर) के कारण भी सबसे ज्यादा मौत होती है. सही समय पर इसकी पहचान कर ली जाये और इलाज शुरू हो जाये, तो मरीज को ठीक किया जा सकता है. मौके पर सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ उषा नाथ, डॉ उषा रानी, डॉ प्रीतिबाला सहाय, डॉ कुसुम प्रसाद, डॉ गोपा चौधरी, डॉ ज्योति राय, डॉ अंजना झा, सचिव डॉ निर्मला सिंह, डॉ रेखा देबुका, डॉ निवेदिता चक्रवर्ती एवं डॉ पुष्पा पांडेय आदि मौजूद थीं. ……………..पीसीओएस से गर्भधारण में परेशानी: डॉ शोभा डॉ शोभा चक्रवर्ती ने कहा कि पोलेस्टिक ओवेरियन सिड्रोम (पीसीओएस ) अब सामान्य बीमारी हो गयी है. पहले बीमारी कम होती थी, लेकिन अब 20 से 25 प्रतिशत महिलाओं में यह बीमारी सामान्य बात हो गयी है. इसका मुख्य कारण लाइफ स्टाइल है. मोटापा और मासिक गड़बड़ी के कारण होती है. ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं में यह बीमारी बहुत कम है, क्योंकि वह परिश्रम करती हैं. उनमें मोटापा नहीं होता है. इसलिए उनमें पीसीओएस के लक्षण बहुत कम पाये जाते हैं.

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