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एजेंसियां, न्यूयॉर्क. आमतौर पर यह माना जाता है कि क्र ोध तन और मन दोनों के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ संस्कृतियों में गुस्सा बुरे नहीं बल्कि अच्छे स्वास्थ्य का संकेत होता है. अध्ययन में पता चला है कि अत्यधिक क्र ोध को जापानी लोग बेहतर जैविक स्वास्थ्य से […]

एजेंसियां, न्यूयॉर्क. आमतौर पर यह माना जाता है कि क्र ोध तन और मन दोनों के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ संस्कृतियों में गुस्सा बुरे नहीं बल्कि अच्छे स्वास्थ्य का संकेत होता है. अध्ययन में पता चला है कि अत्यधिक क्र ोध को जापानी लोग बेहतर जैविक स्वास्थ्य से जोड़ कर देखते हैं.यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के मनोविज्ञानी शिनोबु कितायामा के मुताबिक, क्र ोध को बुरे स्वास्थ्य से जोड़ कर देखना आमतौर पर पश्चिमी संस्कृति का हिस्सा है, जहां गुस्से को निराशा, निर्धनता, निम्न जीवन स्तर और उन सभी कारकों से जोड़ कर देखा जाता है, जो स्वास्थ को नुकसान पहुंचाते हैं.शोधकर्ताओं ने अमेरिका और जापान में एकत्र किये गये आंकड़ों का अध्ययन किया. उन्होंने अच्छे स्वास्थ्य के स्तर को मापने के लिए उत्तेजना और हृदय से जुड़ी गतिविधियों का अध्ययन किया, जिन्हें पूर्व में किये गये शोधों में क्र ोध की भावना से जोड़ कर देखा जाता रहा है. अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में अत्यधिक क्र ोध को जैविक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है, जैसा कि पूर्व के शोधों में भी कहा गया है. वहीं, जापान में अत्यधिक क्र ोध को जैविक स्वास्थ्य के खतरे के स्तर में गिरावट लाने और अच्छे स्वास्थ्य की निशानी से जोड़ कर देखा जाता है. कितायामा ने कहा कि इन अध्ययनों से पता चलता है कि सामाजिक-सांस्कृतिक कारक भी जैविक प्रक्रि याओं को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करते हैं.

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