रांची: झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) के कोल ब्लॉक के नाम पर फरजी कंपनी बहाली करा रही है. निगम के अधिकारियों के पास बहाली के लिए प. बंगाल, राजस्थान व धनबाद से फोन आ रहे हैं. निगम ने अपनी वेबसाइट व समाचार पत्रों के जरिये स्पष्टीकरण दिया है कि कोई फर्जी कंपनी निगम को आवंटित कोल ब्लॉक जगेश्वर एवं खास जगेश्वर में रोजगार के लिए जालसाजी कर रही है. निगम को अब तक उक्त दोनों खदानों का खनन पट्टा भी नहीं मिला है.
पहले भी सामने आये ऐसे मामले : झारखंड में कई बड़ी कंपनियां संचालित हैं. इनके यहां नौकरी दिलाने के नाम पर पूर्व में भी कई बार ठगी के मामले आ चुके हैं. एक सप्ताह पहले मुरी स्थित हिंडालको के कार्यालय में फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर योगदान करने एक युवक पहुंचा था. बाद में पता चला कि वह ठगा गया है. इसके पूर्व जिंदल स्टील एंड पावर के पतरातू प्लांट में नौकरी दिलाने का फर्जीवाड़ा सामना आया था. जिंदल को सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करानी पड़ी थी. अभिजीत ग्रुप के चंदवा प्लांट में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था.
अफसर हैरान, जब खनन पट्टा ही नहीं, तो जॉब कहां से
जेएसएमडीसी को वर्ष 2006 में रामगढ़ जिला स्थित जगेश्वर एवं खास जगेश्वर कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था. कोलगेट स्कैम में सभी कोल ब्लॉक की जांच सीबीआइ द्वारा किये जाने से इस कोल ब्लॉक पर अग्रेतर कार्रवाई नहीं की गयी है. पिछले एक सप्ताह से जेएसएमडीसी के कई अधिकारियों खासकर जीएम माइंस व कंपनी सेक्रेटरी के पास लगातार फोन आ रहे हैं कि इस कोल ब्लॉक के लिए उन्हें जॉब का ऑफर मिला है. नियुक्ति पत्र भी मिला है. निगम इसे कब चालू कर रहा है और कब से ज्वाइनिंग देनी है. निगम के अधिकारी इन सवालों से हैरान हैं कि अब तक इस कोल ब्लॉक के लिए कुछ किया ही नहीं किया गया है, तो फिर जॉब कहां से दिया जा रहा है. निगम के एक अधिकारी बताते हैं कि कुछ बेरोजगारों ने बताया है कि उनसे पैसे भी लिये गये हैं. किसने लिया है, बताने से वे इनकार करते हैं.
मामला कोर्ट में है
जेएसएमडीसी के कंपनी सेक्रेटरी अमित चक्रवर्ती ने बताया कि वर्ष 2006 में जगेश्वर एवं खास जगेश्वर कोल ब्लॉक का आवंटन निगम को हुआ था. कोल ब्लॉक के राष्ट्रीयकरण के पूर्व इन दोनों ब्लॉक का संचालन नरेश देव द्वारा किया जाता था. जब निगम को यह आवंटित हुआ, तो नरेश देव ने इसके खिलाफ कोर्ट में टाइटल सूट दायर किया, पर कोर्ट ने निगम के पक्ष में फैसला दिया गया. इसके बाद हाइकोर्ट में नरेश देव द्वारा याचिका दायर की गयी. वहां भी निगम के पक्ष में फैसला हुआ. फिर नरेश देव सेकेंड अपील के लिए चले गये. तब से यह मामला कोर्ट में ही लंबित है. इस कारण निगम इस पर कोई आगे की कार्रवाई नहीं कर सकता.
जालसाजों पर प्राथमिकी दर्ज होगी
कंपनी सेक्रेटरी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति स्पष्ट प्रमाण व नियुक्ति पत्र लेकर आयेगा, तो निगम जालसाजों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायेगा. फिलहाल अब तक जो भी सूचना आयी है, वह फोन कॉल पर आयी है. कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आया है.