आज के समय में हर उम्र के लोगों में किसी न किसी तरह की दर्द की समस्या रहती है. कहीं न कहीं दर्द की समस्याएं नसों पर दबाव की वजह से होती हैं. कई ऐसी समस्याएं भी होती हैं, जिनकी वजह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी होती है. स्पाइनल केनाल स्टेनोसिस भी रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी है. इस तकलीफ में स्पाइनल केनाल के स्थान के घटने के कारण इसका मार्ग अवरुद्ध हो जाता है और उससे होकर गुजरने वाले स्पाइनल कॉर्ड या नसों पर दबाव पड़ता है. यह तकलीफ तीन स्थानों गर्दन, पीठ तथा कमर में होती है. इस तकलीफ से पीडि़त व्यक्ति को लकवा मारने की संभावना होती है. साथ ही साइटिका की आशंका होती है. यह तकलीफ व्यक्ति की उम्र और शरीर का वजन बढ़ने के कारण होती है. स्लिप डिस्क की समस्या, ऑस्टियोपोरोसिस या ऑर्थराइटिस रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की विकृति या फ्रैक्चर आदि के कारण होती है. इसे कई लक्षण से पहचाना जा सकता है, जैसे गरदन या कमर में हमेशा दर्द रहना, हाथ-पैर में भारीपन व झनझनाहट, चलने पर पैर का भारी लगना, पीछे झुकने पर दर्द का बढ़ना, पैरा उठा कर रखने में समय लगना, त्वचा का संवेदनहीन होना आदि. जैसे ही किसी व्यक्ति को इन लक्षणों का आभास होता है उसे फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना चाहिए………………………………………ये है लक्षण गरदन या कमर में दर्दहाथ-पैर में भारीपन, झनझनाहटपीछे झुकने पर दर्द का बढ़नात्वचा संवेदनहीन
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स्पाइनल पेन का मुख्य कारण है अधिक वजन
आज के समय में हर उम्र के लोगों में किसी न किसी तरह की दर्द की समस्या रहती है. कहीं न कहीं दर्द की समस्याएं नसों पर दबाव की वजह से होती हैं. कई ऐसी समस्याएं भी होती हैं, जिनकी वजह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी होती है. स्पाइनल केनाल स्टेनोसिस भी रीढ़ की हड्डी […]
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