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चुनाव में हार की आज समीक्षा करेगी कांग्रेस

रांची : विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा कांग्रेस पांच जनवरी को करेगी. इसको लेकर राज्य के सभी जिला अध्यक्षों की प्रदेश मुख्यालय में दिन के 11.30 बजे बैठक बुलायी गयी है. बैठक में सभी जिलाध्यक्षों से पार्टी के प्रदर्शन और चुनावी नतीजों के संबंध में अलग-अलग राय ली जायेगी. सचिव सह मीडिया […]

रांची : विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा कांग्रेस पांच जनवरी को करेगी. इसको लेकर राज्य के सभी जिला अध्यक्षों की प्रदेश मुख्यालय में दिन के 11.30 बजे बैठक बुलायी गयी है. बैठक में सभी जिलाध्यक्षों से पार्टी के प्रदर्शन और चुनावी नतीजों के संबंध में अलग-अलग राय ली जायेगी.
सचिव सह मीडिया सदस्य अजय राय ने बताया कि बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत करेंगे. इसमें विधानसभा चुनाव की समीक्षा के साथ साथ सदस्यता अभियान एवं संगठन के भावी कार्यक्रमों के संबंध में विचार विमर्श किया जायेगा.
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन रहा. कांग्रेस अपनी पुरानी सीट नहीं बचा पायी. कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव हार गये. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर विधायक दल के नेता हार गये. कांग्रेस के सभी मंत्री हार गये. वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने 14 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस अपनी पुरानी सीट नहीं बचा पायी. कांग्रेस के दिग्गज नेता भी भाजपा का रास्ता नहीं रोक सके. सिर्फ एक सीट बड़कागांव में कब्जा कायम रहा. बड़कागांव में योगेंद्र साव की पत्नी निर्मला देवी जीतीं. कांग्रेस ने छह नयी सीट पर जीत दर्ज की है. छह में से तीन नये चेहरे चुनाव जीत कर आये हैं. बादल पत्रलेख, इरफान अंसारी और निर्मला देवी कांग्रेस में नये चेहरे होंगे. कांग्रेस के नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम पाकुड़ से चुनाव जीते हैं. वहीं पूर्व विधायक दल के नेता मनोज यादव इस बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं.
कांग्रेस के मंत्री पार्टी की साख बचाने में कामयाब नहीं रहे. मंत्री रहे राजेंद्र प्रसाद सिंह, गीताश्री उरांव, मन्नान मल्लिक, केएन त्रिपाठी, बन्ना गुप्ता अपनी-अपनी सीट नहीं बचा पाये. इन सीटों पर कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली.
उधर डॉ सरफराज अहमद, राजेश रंजन जैसे नेता भी अपनी सीट बचाने में विफल रहे. कांग्रेस को झामुमो के साथ गंठबंधन तोड़ना महंगा पड़ा. राजद और जदयू के साथ गंठबंधन से कांग्रेस को बहुत फायदा नहीं हुआ. भाजपा विरोधी वोट को कांग्रेस गोलबंद नहीं कर सकी.

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