रांची: झाविमो और भाजपा में शह-मात का खेल चल रहा है. भाजपा ने झाविमो पर विलय का दबाव बनाया है. वहीं झाविमो सरकार के समर्थन के एवज में बर्थ मांग रहा है. झाविमो समर्थन के लिए तैयार है. फिलहाल कैबिनेट विस्तार का मामला झाविमो के हां, ना में ही अटका है. पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बाबूलाल मरांडी की मुलाकात हुई.
इस मुलाकात में श्री शाह ने बाबूलाल से पार्टी के विलय प्रस्ताव रखा. श्री मरांडी फिलहाल इसे टाल रहे हैं. बाबूलाल ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस बाबत बाद में चर्चा करने की बात कही है. झाविमो के विधायक दल की बैठक में भी सहमति बनी कि पार्टी का विलय ना करें. भाजपा -झाविमो के बीच चल रहे राजनीतिक दावं-पेंच का पटाक्षेप होना बाकी है.
झाविमो आया, तो कम होगा आजसू का कोटा : झाविमो सरकार में आया, तो फिर आजसू का कोटा कम होगा. आजसू सरकार में दो मंत्री पद पर दावेदारी कर रही है. झाविमो के आने के बाद आजसू को एक ही पद पर संतोष करना पड़ सकता है. उधर भाजपा की रणनीति है कि झाविमो का शामिल करा कर आजसू के दबाव को कम किया जायेगा. भविष्य में सरकार की सहूलियत के लिए झाविमो को शामिल कराने के लिए काम किया जा रहा है. केंद्रीय नेतृत्व पूरे मामले को देख रहा है.