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देश को जरूरत है ‘धर्म की स्वतंत्रता कानून’ की : दिग्विजय

एजेंसियां, भोपालकांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने रविवार को यहां कहा है कि देश में धर्मांतरण विरोधी कानून की बजाय ‘धर्म की स्वतंत्रता कानून’ की जरूरत है. उनका यह बयान उस वक्त आया है, जब देश में हो रहे धर्मांतरण पर राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद चल रहा है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिंदू परिषद ने […]

एजेंसियां, भोपालकांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने रविवार को यहां कहा है कि देश में धर्मांतरण विरोधी कानून की बजाय ‘धर्म की स्वतंत्रता कानून’ की जरूरत है. उनका यह बयान उस वक्त आया है, जब देश में हो रहे धर्मांतरण पर राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद चल रहा है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिंदू परिषद ने धर्मांतरण विरोधी कानून का समर्थन किया है. सिंह ने कहा कि वह बलपूर्वक किये गये धर्मांतरण एवं प्रलोभन के जरिये किये गये धर्मांतरण के विरुद्ध हैं और इन दोनों बातों को धर्म की स्वतंत्रता कानून में जोड़ा जाना चाहिए. कहा कि आज कल कुछ लोगों द्वारा बेबुनियाद अभियान चला कर बताया जा रहा है कि वर्ष 2060 तक मुसलमानों की जनसंख्या हिंदुओं की जनसंख्या से अधिक हो जायेगी, जो सरासर गलत है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके सिंह ने आरोप लगाया कि इस अभियान के अंतर्गत गलत आंकड़े पेश कर बताया जा रहा है कि वर्ष 1951 में भारत में मुसलमानों की जनसंख्या तीन प्रतिशत के आसपास थी, जो अब बढ़ कर 13 प्रतिशत हो गयी है. उन्होंने दावा किया कि हकीकत में वर्ष 1951 में देश में मुसलिम आबादी 11 प्रतिशत थी.प्रधानमंत्री एक अच्छा इनेंट मैनेजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि वह (मोदी) एक अच्छा प्रवक्ता होने के साथ-साथ बढि़या ‘इवेंट मैनेजर’ भी हैं, लेकिन उनके (मोदी) भाषणों में विषयवस्तु का अभाव रहता है और जो वे कहते हैं, उसे करते नहीं हैं. मोदी के राजनीतिक भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि यह सब इस बात पर निर्भर रहेगा कि उनकी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के साथ आगे कैसे पटती है.

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