रांची: सिसई (गुमला) की 14 वर्षीय विनीता (बदला हुआ नाम) उन 26 लड़कियों में एक है, जिसे दिल्ली से रेस्कयू करा कर गत 12 दिसंबर को रांची लाया गया था. गुड़गांव में एक कोठी में काम करनेवाली विनीता को उसके परिजनों ने ही धोखे से दिल्ली भेजा था.
अब विनीता को परिजनों के नाम से ही नफरत है. विनीता के मां-बाप का निधन हो चुका है. छह माह पहले उसके जीजा के छोटे भाई ने उसे दिल्ली घुमाने की बात कही. वह भरोसे में आकर दिल्ली चली गयी, लेकिन वहां उसे काम पर लगा दिया गया. उसे सुबह से देर शाम तक काम करना पड़ता था. मालिक से डांट फटकार मिलती थी, उसे घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. विनीता की हालत को बगल में रहनेवाले एक परिवार ने देखा.
उस परिवार ने चाइल्ड लाइन में फोन कर इसकी जानकारी दी. चाइल्ड लाइन व गुड़गांव पुलिस के प्रयास से नवंबर में उसे छुड़ाया गया था. कुछ समय तक वह निर्मल छाया में रही, जिसके बाद अब वह बीजूपाड़ा स्थित किशोरी निकेतन में है. उसका कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में एडमिशन की बात चल रही है. अब वह पढ़ाई कर अपना भविष्य बनाना चाहती है. वह पुलिस की नौकरी करना चाहती है. इस मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उसके जीजा के छोटे भाई पर केस दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है.