सेंट्रल डेस्कजम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा मिशन 44+ में नाकाम रही, लेकिन वह जड़ें जमा रही है. काफी मजबूती से. सीटों की संख्या बढ़ सकती थी, अगर श्रीनगर के हब्बाकदाल, अमीराकदाल, हजरतबल में कश्मीरी पंडितों ने उसके पक्ष में वोट किया होता. लेकिन, कश्मीरी पंडित अपनी जनसंख्या के अनरूप मतदान करने के लिए बाहर निकले ही नहीं.उम्मीद जगाने में भाजपा नाकामकश्मीरी पंडितों में भाजपा वह उत्साह नहीं जगा पायी, जिसकी उसे उम्मीद थी. उन्हें प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत नौकरी तो दी गयी, लेकिन करीब छह माह से वेतन के लाले हैं.क्यों हुआ भाजपा का यह हश्रहिंदुत्व, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता से दूरी बनाये रखनेवाली भाजपा को धर्मांतरण के मुद्दे ने काफी परेशान किया. अनुच्छेद 370 पर चुप्पी ने कश्मीरी पंडितों को भाजपा से दूर कर दिया, तो धर्मांतरण के मुद्दे के कारण लद्दाख में उसका खाता नहीं खुल पाया.राहत की बातपार्टी के पुराने तथाकथित एजेंडे को छोड़ विकास के नये एजेंडे के साथ मुसलिम बहुल राज्य में पार्टी घुसपैठ कर दूसरी बड़ी पार्टी बन कर राजनीतिक जमीन तलाशने में काफी हद तक सफल रही है.आबादी और मतदानविधानसभापंडितों की संख्यावोट कियाहब्बाकदाल32,1362,817अमीराकदाल5,275837हजरतबल2,59936032,136 कश्मीरी पंडित हैं श्रीनगर जिले में5,169 लोगों ने ही किया मतदान9,638 विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने जतायी थी वोट देने की मंशा
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कश्मीरी पंडितों ने तोड़ा भाजपा का भरोसा
सेंट्रल डेस्कजम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा मिशन 44+ में नाकाम रही, लेकिन वह जड़ें जमा रही है. काफी मजबूती से. सीटों की संख्या बढ़ सकती थी, अगर श्रीनगर के हब्बाकदाल, अमीराकदाल, हजरतबल में कश्मीरी पंडितों ने उसके पक्ष में वोट किया होता. लेकिन, कश्मीरी पंडित अपनी जनसंख्या के अनरूप मतदान करने के लिए बाहर निकले […]
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