एजेंसियां, नयी दिल्लीनरेंद्र मोदी सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी बिल पेश कर दिया है. हालांकि इस पर बहस संसद के बजट सत्र शुरू की जायेगी. ही केंद्रीय कैबिनेट ने अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए इस बिल को बुधवार को ही मंजूरी दी थी. सदस्यों की चिंताओं पर स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री अरु ण जेटली ने कहा कि इस बिल के आने से किसी राज्य का नुकसान नहीं होगा. इस बिल के बाद राज्य और केंद्र का फायदा होगा. सरकार का एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य है. इससे पहले, जीएसटी विधेयक को 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही विधेयक निरस्त हो गया. इससे नयी सरकार को नया विधेयक लाना पड़ा है. पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने समेत अन्य जटल मुद्दों को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच इस सप्ताह बनी सहमति के बाद संशोधित संविधान संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल के समक्ष लाया गया है. पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को लेकर प्रस्तावित जीएसटी करीब सात साल से अटका हुआ था. जीएसटी केंद्रीय स्तर पर उत्पाद शुल्क और सेवा कर और राज्यों में लगने वाले वैट (मूल्य वर्धित कर) एवं स्थानीय करों का स्थान लेगा.टैक्स ढांचा बदल देगा जीएसटी जीएसटी के लागू होते ही केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स….सब खत्म हो जायेंगे. राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी वगैरह भी खत्म हो जायेगी. हालांकि पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो अभी कुछ साल तक जारी रहेंगे.
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एक टैक्स वाला जीएसटी बिल लोस में पेश
एजेंसियां, नयी दिल्लीनरेंद्र मोदी सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी बिल पेश कर दिया है. हालांकि इस पर बहस संसद के बजट सत्र शुरू की जायेगी. ही केंद्रीय कैबिनेट ने अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए इस बिल को बुधवार को ही मंजूरी दी थी. […]
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