गोरखपुर. हिंदुओं की धार्मिक पुस्तकें छापने वाले गीता प्रेस में अनिश्चितकालीन समय के लिए ताला लग गया है. गोरखपुर स्थित इस प्रेस में प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच विवाद के कारण ऐसा हुआ. प्रेस में 185 स्थायी और 300 ठेके के कर्मचारी काम करते हैं. वे तीन दिसंबर से ही धरना दे रहे थे. गीता प्रेस प्रबंधन ने समझौता न होने पर 16 दिसंबर को प्रेस बंद करने की घोषणा कर दी. बताया जाता है कि कर्मचारी वेतन बढ़ाने और चिकित्सा सुविधा की मांग कर रहे थे लेकिन प्रबंधन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. दोनों के बीच वार्ता असफल हो जाने के बाद प्रबंधन ने प्रेस अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा कर दी. गीता प्रेस ने प्रकाशन का काम 1923 में शुरू किया था और शुरू में वहां गीता छपा करती थी, लेकिन बाद में रामायण, भागवत, दुर्गा सप्तशती, पुराण, उपनिषद वगैरह छपने लगे. प्रेस इनकी 37 करोड़ प्रतियां छाप चुकी है. हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी के अलावा सात अन्य भाषाओं में भी यहां प्रकाशन होता रहा है.
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धार्मिक पुस्तकें छापने वाले गीता प्रेस में ताला
गोरखपुर. हिंदुओं की धार्मिक पुस्तकें छापने वाले गीता प्रेस में अनिश्चितकालीन समय के लिए ताला लग गया है. गोरखपुर स्थित इस प्रेस में प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच विवाद के कारण ऐसा हुआ. प्रेस में 185 स्थायी और 300 ठेके के कर्मचारी काम करते हैं. वे तीन दिसंबर से ही धरना दे रहे थे. गीता […]
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