रांची: ग्रामीण कार्य विभाग की योजनाओं के टेंडर में अब लॉटरी का प्रावधान हटा दिया गया है. यानी समान दर होने पर टेंडर का निष्पादन अब लॉटरी से नहीं होगा, बल्कि ठेकेदारों की सारी स्थितियों के आंकलन के बाद काम आवंटित होगा. इसमें देखा जायेगा कि ठेकेदार की कार्य क्षमता कितनी है. उसके पास उपकरण हैं या नहीं.
उसकी वित्तीय स्थिति व पेंडिंग कार्यो को देखने के बाद ही काम दिया जायेगा. पिछले दो-तीन वर्षो से विभाग में टेंडर का निष्पादन लॉटरी के माध्यम से किया जा रहा था. यानी एक दर वाले ठेकेदारों के बीच लॉटरी की जा रही थी. लॉटरी में जिसका नाम आता था, उसे काम मिल जाता था.
पीडब्ल्यूडी कोड में नहीं है लॉटरी का प्रावधान
पीडब्ल्यूडी कोड में लॉटरी का प्रावधान नहीं है. नियम के मुताबिक समान दर होने पर ठेकेदारों की क्षमता का आंकलन होता है. इसमें जिस ठेकेदार का मार्क्स ज्यादा होता है, उसके पक्ष में टेंडर का निष्पादन होता है. पथ निर्माण विभाग से लेकर भवन निर्माण व अन्य संबंधित विभागों में इसी प्रावधान के तहत टेंडर का निष्पादन किया जाता है.
रोक के बावजूद हो रही थी लॉटरी
विभाग ने एक कार्यालय आदेश के माध्यम से लॉटरी का प्रावधान शुरू किया था, पर 50 लाख रुपये से नीचे की योजना में लॉटरी नहीं करने का आदेश था. इसके बावजूद 50 लाख रुपये से नीचे की योजनाओं में लॉटरी की जाती थी. अधीक्षण अभियंता के स्तर पर लॉटरी के माध्यम से ही सारे टेंडर निष्पादित किये गये.
एक ही ठेकेदार को मिल रहे थे कई कार्य
ग्रामीण कार्य विभाग में लॉटरी से टेंडर निष्पादन की वजह से एक ही ठेकेदार को कई काम मिल रहे थे. पहले से जिस ठेकेदार का काम पेंडिंग है, उसे भी काम मिल रहा था. जिसकी कार्य क्षमता उतनी नहीं, उसे भी काम मिल जा रहा था. समान दर होने पर अच्छे ठेकेदार भी काम से वंचित रह जाते थे.