ग्रहों की शांति का निदान है महामृत्युंजय मंत्ररांची. मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग का आयोजन किया गया. इस दौरान ज्योतिषी आचार्य अजय कुमार मिश्रा ने पाठकों के सवाल के जवाब दिये. शिक्षा, कैरियर व विवाह विषयों पर पाठकों ने उनसे सवाल किये. उन्होंने बताया कि विवाह में चार प्रकार के विघ्न होते हैं. कुंडली में प्रबल मांगलिक दोष बनना, पितृश्राप, शुक्र ग्रह का दूषित होना. इसके अलावा नाड़ी दोष तथा गण दोष को भी प्रमुख कारण माना जाता है. इसकी शांति के लिए सूर्य को प्रबल बनाना आवश्यक होता है. यदि किसी लड़की की कुंडली में इस तरह का दोष हो, तो वैसे लोगों को शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा वह मंगला गौरी या सोलह सोमवारी का व्रत करें. इनसे विवाह संबंधी बाधा नष्ट होती है. इसके इतर भी जातक की कुंडली में कई दोष के योग बनते हैं, जिसमें काल सर्प दोष योग, शनि का साढ़े साती या ढईया होना आदि शामिल है. शत्रु ग्रह कुंडली में अशुभ भाव पर बैठा हो, तो बाधक ग्रह माना जाता है. इससे भाग्योदय में बाधा, आर्थिक क्षति, सामाजिक क्षति तथा मानसिक परेशानी होती है. समस्त ग्रहों की शांति निदान के लिए हर मर्ज की दवा महामृत्युुंजय मंत्र है. महामृत्युंजय मंत्र जीवन दायक पवित्र मंत्र हैं. यह लंबी उम्र, शांति, धनधान्य, संतोष तथा अमरत्व प्रदान करता है. सर्पदंश, आग-पानी तथा आकस्मिक दुर्घटना में रक्षा कवच के रूप में काम करता है. इसके अतिरिक्त इस मंत्र में शक्तिशाली आरोग्य शक्ति है. महामृत्युंजय मंत्र के जपने से अकाल मृत्यु टलती है.
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ग्रहों की शांति का निदान है महामृत्युंजय मंत्ररांची. मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग का आयोजन किया गया. इस दौरान ज्योतिषी आचार्य अजय कुमार मिश्रा ने पाठकों के सवाल के जवाब दिये. शिक्षा, कैरियर व विवाह विषयों पर पाठकों ने उनसे सवाल किये. उन्होंने बताया कि विवाह में चार प्रकार के विघ्न […]
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