नयी दिल्ली. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता एचएसबीसी की एक रपट के अनुसार सुधार प्रक्रिया के जोर पकड़ने के साथ 2015 में अमेरिकी डॉलर के समक्ष भारतीय रुपया अन्य एशिया मुद्राओं को पीछे छोड़ता रहेगा. इसके अनुसार ये मुद्राएं डॉलर की तुलना में और कमजोर होंगी. इस रपट के अनुसार आनेवाले वर्षों में सभी एशियाई मुद्राओं के डॉलर की तुलना में कमजोर होने की अपेक्षा है, लेकिन भारतीय रुपया अधिक मुकाबला करने वाली मद्रा साबित होगी बशर्ते घरेलू नीतिगत ढांचा निराश नहीं करे. इसके अनुसार डॉलर की तुलना में सभी एशियाई मुद्राओं के कमजोर होने की संभावना है. चीनी मुद्रा रेनमिंबी, भारतीय रपया, इंडोनेशिया रपया तथा फिलीपींस का पैसा बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. इसके विपरीत ताईवान का नया डॉलर, कोरिया का वॉन और मलयेशिया का रिंगिट कमजोर होगा.
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एक साल भारतीय रुपया होगा आगे
नयी दिल्ली. वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता एचएसबीसी की एक रपट के अनुसार सुधार प्रक्रिया के जोर पकड़ने के साथ 2015 में अमेरिकी डॉलर के समक्ष भारतीय रुपया अन्य एशिया मुद्राओं को पीछे छोड़ता रहेगा. इसके अनुसार ये मुद्राएं डॉलर की तुलना में और कमजोर होंगी. इस रपट के अनुसार आनेवाले वर्षों में सभी एशियाई मुद्राओं […]
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