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नक्सलियों से घिरे अमरजीत ने मांगी थी पुलिस से मदद

रांची : दुमका के शहीद पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार ने नक्सलियों की गोलियों से शहीद होने के ठीक पहले अपने ही एक निकटवर्ती थानेदार को फोन कर पुलिस बल की मदद मांगी थी लेकिन वह मदद समय पर पहुंच नहीं सकी और जबतक मदद पहुंची उसकी कोई जरुरत नहीं रह गयी थी. झारखंड के गृह […]

रांची : दुमका के शहीद पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार ने नक्सलियों की गोलियों से शहीद होने के ठीक पहले अपने ही एक निकटवर्ती थानेदार को फोन कर पुलिस बल की मदद मांगी थी लेकिन वह मदद समय पर पहुंच नहीं सकी और जबतक मदद पहुंची उसकी कोई जरुरत नहीं रह गयी थी.

झारखंड के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि मंगलवार को दुमका में काठीकुंड और गोपीकनार के जंगल के बीच में घात लगाये बैठे पचास से साठ नक्सलियों के हमले में फंसे पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार ने पाकुड़ के अमरापाड़ा थानाध्यक्ष से तत्काल पुलिस की मदद मांगी थी लेकिन मदद पहुंचने में लगभग चालीस मिनट का समय लगा और तब तक सब कुछ खत्म हो गया था.

अमरापाड़ा के पुलिस थानाध्यक्ष रंजीत मिंज ने इस सिलसिले में बताया कि नक्सलियों से घिरे अमरजीत बलिहार ने उन्हें फोन कर फोर्स के साथ तुरंत सहायता के लिए मौके पर बुलाया था लेकिन जब तक वह फोन रखकर घटनास्थल के लिए रवाना होते, अपने मोबाइल पर ही गोलियों के तड़तड़ाने की आवाज उन्होंने सुनी और पुलिस अधीक्षक की आवाज बंद हो गयी. मिंज ने बताया कि वह फोन पर गोलियों के तड़तड़ाने की आवाज के बावजूद मौके के लिए रवाना हुए और फोर्स के साथ वहां लगभग चालीस मिनट में पहुंच गये लेकिन तब तक वहां कुछ बचा ही नहीं था. उन्होंने बताया कि पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार और उनके चार अन्य साथी शहीद हो चुके थे और चार अन्य सिपाही गंभीर रुप से घायल अवस्था में कराह रहे थे.

मिंज ने बताया कि थोड़ी ही देर में दुमका से भी पुलिस उपमहानिरीक्षक प्रिया दूबे एवं अन्य पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गये जिसके बाद वहां बचाव कार्य किया जा सका. आमरापाड़ा थाना नक्सलियों के हमले वाले स्थान से लगभग चालीस किलोमीटर की दूरी पर है और लाख कोशिश के बावजूद थानाध्यक्ष वहां चालीस मिनट से पहले नहीं पहुंच सकते थे. गृह विभाग के सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों को पुलिस अधीक्षक के मार्ग और कार्यक्रम की सटीक जानकारी थी अन्यथा इतनी आसानी से वह पुलिस अधीक्षक और उनके दल को अपना निशाना नहीं बना सकते थे. अमरजीत दुमका में पुलिस उपमहानिरीक्षक की समीक्षा बैठक में शामिल होकर वापस पाकुड़ एक निजी स्कार्पियो गाड़ी में लौट रहे थे और उस गाड़ी में नंबर प्लेट भी नहीं था. इसके बावजूद नक्सलियों ने उस वाहन पर हमला किया और पुलिस अधीक्षक तथा उनके साथ चल रही सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियों को गोलियों से छलनी कर दिया.

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