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हिंदू-मुसलिमों की लड़ाई नहीं, धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता का टकराव है बाबरी मस्जिद : हबीब

अलीगढ़. प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने रविवार को सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों से आह्वान किया कि वे अपने राजनीतिक जुड़ावों से परे जाकर आपस में हाथ मिलायें और एकजुट होकर ‘सांप्रदायिक ताकतों’ के उभार का सामना करें. अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में एक व्याख्यान को संबोधित करते हुए हबीब ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम […]

अलीगढ़. प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने रविवार को सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों से आह्वान किया कि वे अपने राजनीतिक जुड़ावों से परे जाकर आपस में हाथ मिलायें और एकजुट होकर ‘सांप्रदायिक ताकतों’ के उभार का सामना करें. अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में एक व्याख्यान को संबोधित करते हुए हबीब ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम और भारत की अवधारणा के लिए पनपते खतरे की वजह से मुझे सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के लिए यह अपील जारी करनी पड़ी.’ हबीब ने कहा, ‘मौजूदा सरकार की कुछ नीतियांे, खासकर शिक्षा एवं इतिहास का भगवाकरण, ने मुझे अहसास दिलाया कि अब तुरंत बोलने की जरूरत है.’ कहा कि पहले ही ऐसे अशुभ संकेत थे कि भाजपा अयोध्या विवाद सहित विवादित मुद्दों को हवा देने की योजना बना रही है. ऐसे मामलों में डर बिना किसी कारण नहीं है, क्योंकि जब यह सरकार आम लोगों के लिए ‘अच्छे दिन’ का वादा पूरा नहीं कर सकेगी, तो वे ऐसे विभाजनकारी एवं धु्रवीकरण करनेवाले मुद्दों का सहारा लेगी.’ बाबरी मसजिद-राम मंदिर मुद्दे का हवाला देते हुए जानेमाने इतिहासकार ने कहा, ‘इसे हिंदुआंे एवं मुसलिमों के बीच के मुद्दे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. यह दरअसल एक तरफ धर्मनिरपेक्षता और मानवता तो दूसरी तरफ सांप्रदायिकता की ताकतों के बीच टकराव है.’

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