रांची. दर्शनशास्त्र का अध्ययन किये बिना समाज अधूरा है. दर्शनशास्त्र विषय के बाहरी लोग अब दर्शनशास्त्र पर काम करने में रुचि ले रहे हैं. प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र की जगह दर्शनशास्त्र पर काम करने के कारण ही नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव ने ये बातें कहीं. वे रांची विश्वविद्यालय के पीजी दर्शनशास्त्र विभाग में एक विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि दर्शनशास्त्र विषय में भाषा की शुद्धता के बारे में पढ़ाई होती है, क्योंकि भाषा के अनुचित प्रयोग के कारण ही लड़ाइयां होती हैं. अगर भाषा की शुद्धता को हम अपने जीवन में उतार लें तो कई प्रकार की लड़ाई से देश और समाज बच सकता है. इस अवसर पर भारतीय महिला दार्शनिक परिषद मुंबई की अध्यक्ष डॉ राजकुमारी सिन्हा, उपाध्यक्ष डॉ कविता वर्मा, डॉ सरस्वती मिश्रा, डॉ मीरा देवी वर्मा, डॉ सुशील कुमार अंकन, डॉ उषा किरण, डॉ अजय कुमार सिंह, डॉ पंकज कुमार, डॉ आभा झा, डॉ प्रदीप गुप्ता सहित बड़ी संख्या में दर्शनशास्त्र विषय के विद्यार्थी उपस्थित थे.
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दर्शनशास्त्र बिन समाज अधूरा : डॉ श्रीवास्तव
रांची. दर्शनशास्त्र का अध्ययन किये बिना समाज अधूरा है. दर्शनशास्त्र विषय के बाहरी लोग अब दर्शनशास्त्र पर काम करने में रुचि ले रहे हैं. प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र की जगह दर्शनशास्त्र पर काम करने के कारण ही नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रिपुसूदन प्रसाद […]
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