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वरीयता का नहीं रखा गया ख्याल: डॉ रीता लाल

संवाददाता, रांचीरिम्स में स्त्री विभाग की डॉ रीता लाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि प्रभारी निदेशक एसके चौधरी के निर्देश पर सहायक प्राध्यापकों की अधिसूचना की अनदेखी करते हुए डॉ जसिंता मिंज को विभागाध्यक्ष बनाया गया है. डॉ रीता लाल का कहना है कि डॉ मिंज को विभागाध्यक्ष बनाया गया है. स्वास्थ्य […]

संवाददाता, रांचीरिम्स में स्त्री विभाग की डॉ रीता लाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि प्रभारी निदेशक एसके चौधरी के निर्देश पर सहायक प्राध्यापकों की अधिसूचना की अनदेखी करते हुए डॉ जसिंता मिंज को विभागाध्यक्ष बनाया गया है. डॉ रीता लाल का कहना है कि डॉ मिंज को विभागाध्यक्ष बनाया गया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी अधिसूचना 283 (7 बी), दिनांक 29.11.2007 के तहत तीनों मेडिकल कॉलेजों के शैक्षणिक संवर्ग की सूची में मुझे वरीय बनाया गया था. इतना ही नहीं दस वर्षों से यूनिट-2 का प्रभार भी उन्हें दिया गया है. उन्होंने रिम्स प्रबंधन से कई सवाल भी किये हैं. विभाग की ओर से 15 अगस्त 2002 और 15 अगस्त 2007 को जारी अधिसूचना के तहत कई लोगों को सहायक प्राध्यापक और सह प्राध्यापक बनाया गया है. ऐसे में एक पद पर रहते हुए विभागाध्यक्ष के पद पर प्रोन्नति नहीं दी जा सकती. उन्होंने बताया कि सहायक प्राध्यापक की वरीयता में सबसे अधिक शैक्षणिक कार्य का अनुभव मुझे है. सीनियर रेसिडेंसी /रजिस्ट्रार का टेन्योर (काल अवधि) की पोस्टिंग सिर्फ तीन वर्ष में किये जाने का नियम है. इसके बाद मेडिकल ऑफिसर का पद ही बचता है, जिनकी पोस्टिंग कई जगहों पर सरकार की ओर से की जाती है. डॉ लाल के अनुसार शैक्षणिक संवर्ग में आने के पहले डॉ मिंज नन क्लिनिकल पीएसएम विभाग के ट्यूटर के पद पर पदस्थापित थीं. उन्हें प्रसव और स्त्री रोग विभाग के शिक्षण कार्य का अनुभव कम है.

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