रांची: शहर की साफ-सफाई का कार्य भगवान भरोसे चल रहा है. गली, मुहल्ले से लेकर मुख्य सड़कों पर भी जगह-जगह कचरे का अंबार लगा हुआ है. कचरे के उठाव के लिए लोग एटूजेड के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करा कर थक गये हैं. वहां से उन्हें कोरा आश्वासन ही मिलता है. निगम के अधिकारी देख कर भी उदासीन बने हुए है. इनकी उदासीनता व लापरवाही से शहर की 12 लाख की आबादी कचरे की दरुगध के बीच रहने को मजबूर हैं.
ऐसी है राजधानी की सफाई व्यवस्था
शहर की मुख्य सड़कों पर दो दिन में एक बार कचरे का उठाव हो रहा है. गली मुहल्ले की नालियों की सफाई पिछले महीने भर से नहीं हुई है. बारिश में नाले का पानी सड़कों पर बहने लगता है. नाले के कचरे से उठती दरुगध से लोगों का जीवन दूभर हो गया है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस बरसात में अगर नालियों की सफाई नहीं हुई तो शहर में महामारी फैलने की आशंका है.
12 लाख आबादी कर्मी सिर्फ 500
शहर की साफ-सफाई को लेकर एटूजेड कंपनी की लापरवाही स्पष्ट है. शहर की आबादी 12 लाख से ऊपर है जबकि सफाई कर्मचारियों की संख्या मात्र 500 है. औसत एक कर्मचारी पर 2400 व्यक्तियों का कचरा उठाने की जिम्मेवारी है.
बंद हो गया है डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन
शहर के अधिकतर क्षेत्रों में डोर टू डोर कूड़ा संग्रह नियमित नहीं हो पा रहा है. अलबर्ट कंपाउंड, थड़पखना, इस्ट जेल रोड, कृष्णापुरी चुटिया, मकचुंद टोली, इसलाम नगर, आजाद बस्ती, कर्बला टैंक रोड, काली स्थान रोड, मधुकम, खादगढ़ा, इंद्रपुरी, आदर्श नगर कोकर, तिरिल बस्ती, बड़गांई, अपर बाजार, मैकी रोड, हातमा बस्ती, गांधीनगर बस्ती व भीठा में एक हफ्ते से कूड़ा नहीं उठाया गया है.