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आचार संहिता लागू होने से कल्याणकारी योजनाओं पर अमल नहीं, योजनाओं की स्थिति बनी दयनीय

रांची: राज्य में कल्याण विभाग की कई योजनाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है. अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गो के लिए संचालित योजनाएं खर्च नहीं होने की वजह से प्रभावित हो रही हैं. व्यावसायिक प्रशिक्षण, मेसो अस्पतालों का निजी कंपनियों से प्रबंधन और रख-रखाव, साइकिल वितरण, आदिम जनजाति संवर्ग के लाभुकों के लिए […]

रांची: राज्य में कल्याण विभाग की कई योजनाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है. अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गो के लिए संचालित योजनाएं खर्च नहीं होने की वजह से प्रभावित हो रही हैं.

व्यावसायिक प्रशिक्षण, मेसो अस्पतालों का निजी कंपनियों से प्रबंधन और रख-रखाव, साइकिल वितरण, आदिम जनजाति संवर्ग के लाभुकों के लिए आवासीय विद्यालय बनाने, आश्रम और एकलव्य विद्यालय का संचालन, गैर सरकारी संस्थानों की ओर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय का संचालन करने, परीक्षा शुल्क का भुगतान, 13वें वित्त आयोग से मिली राशि से व्यावसायिक प्रशिक्षण दिये जाने के कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं.

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आदर्श आचार संहिता के लागू होने की वजह से योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है. झारखंड अधिविद्य परिषद से कल्याण विभाग को परीक्षा शुल्क संबंधी पुनभरुगतान भी लंबित है. इसकी वजह से एससी, एसटी और बीसी छात्रों को आठ करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पा रहा है.

13वें वित्त आयोग की राशि का उपयोग नहीं : 13वें वित्त आयोग से आदिम जनजाति समूह के लिए छात्रवास बनाने और व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए झारखंड को 31.25 करोड़ रुपये दिये गये. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति द्वारा योजना को स्वीकृति भी दे दी गयी है.

पर अब तक राशि की स्वीकृति नहीं हो पायी है. पाकुड़, साहेबगंज और अन्य जगहों पर बने पीटीजी आवासीय विद्यालयों को शैक्षणिक अनुदान की राशि भी नहीं दी गयी है. सरकार की ओर से इन विद्यालयों के संचालन के लिए नौ स्वयंसेवी संस्थानों का चयन किया गया था. विभाग की ओर से मार्च 2014 के बाद से इन संस्थानों को विद्यालय चलाने का अवधि विस्तार भी नहीं दिया गया है.

नौ मेसो अस्पताल का प्रबंधन प्रभावित

मेसो अस्पतालों के संचालन का काम आदर्श आचार संहिता लागू होने से लटक गया है. विभाग की ओर से अगस्त-सितंबर माह में मेसो अस्पतालों के संचालन से संबंधित आवेदन मंगाये गये थे. राज्य सरकार ने बजट में ग्रामीण इलाकों में अवस्थित इन अस्पतालों के रख-रखाव के लिए 21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इन अस्पतालों को विभाग से एक वर्ष का अवधि विस्तार भी दिया जाना है. समेकित जनजातीय विकास प्राधिकार (आइटीडीए) के तहत पाकुड़, लोहरदगा, सरायकेला, सिमडेगा, रांची, खूंटी, गुमला और अन्य जिले में ये अस्पताल बनाये गये हैं. इन अस्पतालों का प्रबंधन निजी हाथों में दिये जाने की मंजूरी भी दी गयी है. इसी क्रम में सभी संबंधित जिलों से उपयोगिता प्रमाण पत्र भी मांगा गया है. सरकार के पास आइटीडीए पाकुड़, लोहरदगा और सरायकेला से ही मेसो अस्पताल के संचालन को लेकर उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया गया है.

94 हजार साइकिलों का नहीं हुआ वितरण

राज्य सरकार की ओर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समूह के छात्र और छात्रओं को दी जानेवाली साइकिल भी अब तक नहीं बांटी गयी है. कुल 94 हजार साइकिलों का वितरण किया जाना है. आदिवासी कल्याण आयुक्त कार्यालय की ओर से साइकिल खरीद को लेकर 32 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया है. 82 करोड़ रुपये साइकिल खरीद में खर्च की जानी है. इसमें से सिर्फ 32.18 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं.

पैन आइआइटी संस्था से प्रशिक्षण शुरू नहीं

सरकार की ओर से 15 करोड़ रुपये की योजना व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए तय की गयी है. एसटी, एससी, बीसी और माइनॉरिटी संवर्ग के लाभुकों को पैन आइआइटी संस्था से व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाने की योजना बनायी गयी है. अब तक इस दिशा में किसी तरह की अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई है.

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