पटना. काफी लंबे समय के इंतजार के बाद एक भूमिहीन श्रमिक पर आखिरकार किस्मत मेहरबान हो गयी. क्योंकि, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उसे जमीन मुहैया करने का आदेश दिया है, जिसकी सिफारिश उन्होंने 26 साल पहले की थी. यह विषय ‘जनता के दरबार मंे मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में सोमवार को प्रकाश में आया, जब एक दलित श्रमिक पृथ्वीराज चौहान ने मांझी का एक पत्र दिखाया. मांझी ने 1988 में बिंदेश्वरी दूबे की कांग्रेस सरकार में बतौर राजस्व मंत्री एक भू-खंड का उसे मालिकाना हक देने की सिफारिश की थी. मुख्यमंत्री पत्र देख कर अचंभित हो गये और उन्होंने आवेदक को भरोसा दिलाया कि उसे किया गया वादा अब हकीकत बन जायेगा. पटना जिले के बिक्रम ब्लॉक के तहत कुशवा-कंपा गांव के रहनेवाले 50 दलित परिवारों के आवेदन पर गौर करते हुए मांझी ने 1988 में उन्हें भूमि का मालिकाना हक मुहैया करने की सिफारिश की थी. दरअसल, ये लोग बगैर वैध कागजात के गरमजरुआ (सरकारी) जमीन पर बसे हुए थे. मुख्यमंत्री के निर्देश पर पटना के जिलाधीश फौरन हरकत में आ गये. सिंह ने आज कहा, ‘संबद्ध व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर जमीन मिल जायेगी.
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भूमिहीन श्रमिक पर 26 साल बाद किस्मत मेहरबान
पटना. काफी लंबे समय के इंतजार के बाद एक भूमिहीन श्रमिक पर आखिरकार किस्मत मेहरबान हो गयी. क्योंकि, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उसे जमीन मुहैया करने का आदेश दिया है, जिसकी सिफारिश उन्होंने 26 साल पहले की थी. यह विषय ‘जनता के दरबार मंे मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में सोमवार को प्रकाश में आया, जब एक […]
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