हाल मनेरगा के तहत संचालित योजनाओं कानगरऊंटारी (गढ़वा). राशि के अभाव में मनरेगा के तहत संचालित योजनाएं दम तोड़ने लगी है. कई योजनाएं बंद है, तो कई योजनाएं बंदी के कगार पर है. ग्रामीण मजदूरों को वर्ष में कम से कम 100 दिन काम उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा संचालित मनरेगा के तहत ग्रामीण मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं में कार्य कर चुके कई मजदूरों का मजदूरी बकाया है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2014-15 में छह करोड़ 79 लाख की लागत से बनने वाले 207 योजनाओं की स्वीकृति मिली थी. जिसमें 101 योजनाओं का कार्य प्रारंभ हो चुका है, लेकिन राशि उपलब्ध नहीं होने के कारण योजनाओं का कार्य बंद होने लगा है. मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल पा रहा है. साथ ही सामग्री खरीद के लिए भी लाभुकों को राशि नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में अभी तक एक करोड़ 96 लाख रुपये व्यय हुआ है. वहीं इसी राशि से वित्तीय वर्ष 2013-14 योजनाओं के बकाया का भी भुगतान किया गया है. राशि अभाव में स्वीकृत योजनाओं को निर्धारित समय पर पूरा कर पाना बहुत की मुश्किल होगा. मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं होने से मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. साथ ही गांव में चल रही योजनाओं की बंद हो जाने से ग्रामीण मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसी परिस्थिति में मजदूरी रोजी-रोटी की तलाश में पलायन को विवश हैं.
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राशि के अभाव मनरेगा कार्य बंद
हाल मनेरगा के तहत संचालित योजनाओं कानगरऊंटारी (गढ़वा). राशि के अभाव में मनरेगा के तहत संचालित योजनाएं दम तोड़ने लगी है. कई योजनाएं बंद है, तो कई योजनाएं बंदी के कगार पर है. ग्रामीण मजदूरों को वर्ष में कम से कम 100 दिन काम उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा संचालित मनरेगा के तहत […]
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