रांची: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को दूध व खाद्य पदार्थो में मिलावट को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस आरआर प्रसाद व जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. सरकार के जवाब पर कहा कि अगली सुनवाई के दौरान सरकार के वरीय अधिवक्ता उपस्थित रहें. जिस अधिकारी के पास समय नहीं है, सरकार उसे अतिरिक्त प्रभार दे रही है.
मिलावटी खाद्य पदार्थ पर रोक लगाने के प्रति सरकार का रवैया ढुलमुल है. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि खाद्य पदार्थो में मिलावट गंभीर समस्या है. यह जहर के समान है. यह संवेदनशील मामला है. मिलावट पर प्रभावी नियंत्रण के लिए फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति अब तक क्यों नहीं की गयी? शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया. मामले की अगली सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति होगी. जिस जिले में पद रिक्त हैं, वहां के सिविल सजर्न को किसी अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार देने का अधिकार दिया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रभात खबर ने मिलावटी दूध व सिंथेटिक दूध की बिक्री को लेकर खबर प्रकाशित की थी. हाइकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.