कांडी(गढ़वा). पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल इन दिनों गरीबों का आशियाना बना हुआ है. दूर-दराज से गरीब परिवार के लोग यहां आकर अपना जीवन बसर कर रहे हैं. झरना तीर्थ के आसपास उपलब्ध जड़ी-बूटी उनकी रोजी-रोटी का सहारा बन गया है. आसपास के जगहों पर सैकड़ों की संख्या में विकसित जड़ी-बूटी औषधीय पौधे को इकट्ठा कर स्थानीय बाजारों में बेच कर गरीब परिवार के लोग अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. इस काम में गढ़वा जिला के अलावा पलामू के कडंडा सहित आसपास के ग्रामीण लगे हुए हैं, जो अश्वगंधा की जड़ को मिट्टी से खोद कर बाहर निकालते हैं और फिर एक जगह इकट्ठा करने के बाद आसपास के बाजारों में 50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं. इसमें सीताराम रजवार, रामजी रजवार, सुरेश रजवार, सुगिया देवी, मनमतिया देवी, विफनी देवी सहित दर्जनों लोग लगे हुए हैं. इनका कहना है कि पेट की खातिर वे 500 रुपये प्रति किलो बिकनेवाले अश्वगंधा की जड़ को महज 50 रुपये में बेच कर किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं. उधर इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य उप केंद्र कांडी के चिकित्सक डॉ गौरव विक्रम ने बताया कि शरीर में ताकत और कई फायदे के लिए अश्वगंधा का जड़ी लाभदायक होता है. उन्होंने बताया कि इसकी कीमत बाजारों में 500-600 रुपये किलो तक है.
गरीबों का आशियाना बना सतबहिनी झरनातीर्थ
कांडी(गढ़वा). पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल इन दिनों गरीबों का आशियाना बना हुआ है. दूर-दराज से गरीब परिवार के लोग यहां आकर अपना जीवन बसर कर रहे हैं. झरना तीर्थ के आसपास उपलब्ध जड़ी-बूटी उनकी रोजी-रोटी का सहारा बन गया है. आसपास के जगहों पर सैकड़ों की संख्या में विकसित […]
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