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39 स्कूल-कॉलेजों में सभी विद्यार्थी फेल

रांची: राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई दम तोड़ रही है. इंटर साइंस में फेल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2013 में इंटर साइंस में 39 स्कूल-कॉलेजों में एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुए. इनमें 18 प्लस टू हाइस्कूल हैं. 86 स्कूल-कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या पांच से […]

रांची: राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई दम तोड़ रही है. इंटर साइंस में फेल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2013 में इंटर साइंस में 39 स्कूल-कॉलेजों में एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुए.

इनमें 18 प्लस टू हाइस्कूल हैं. 86 स्कूल-कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या पांच से अधिक नहीं है. 43 स्कूल-कॉलेजों में पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या दहाई में भी नहीं पहुंची है. हालांकि रिजल्ट प्रकाशन के दिन विभागीय मंत्री, अधिकारी से लेकर झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष सभी इस पर चिंता जताते हैं, लेकिन रिजल्ट में सुधार की कोई पहल नहीं होती.

प्लस टू स्कूलों का रिजल्ट सबसे खराब : सरकारी प्लस टू उच्च विद्यालयों का इंटर में रिजल्ट सबसे अधिक खराब हुआ. राज्य में कुल 230 प्लस टू उच्च विद्यालय हैं. इनमें 59 विद्यालय एकीकृत बिहार के समय के हैं, जबकि 171 विद्यालय राज्य गठन के बाद हाइस्कूल से प्लस टू उच्च विद्यालय में अपग्रेड किये गये हैं. 230 प्लस टू उच्च विद्यालयों में से 18 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुए. जबकि 53 प्लस टू उच्च विद्यालय में पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या दहाई अंक में भी नहीं पहुंची है.

171 स्कूलों में साइंस टीचर नहीं : राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. 171 प्लस टू उच्च विद्यालय में भौतिकी व रसायन के शिक्षक नहीं हैं. 230 प्लस टू उच्च विद्यालयों में मात्र 109 में गणित व 95 में अंगरेजी के शिक्षक हैं. गत वर्ष विद्यालयों में 1840 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2012 में परीक्षा ली गयी थी. इनमें 1278 विद्यार्थी ही सफल हो सके. 562 शिक्षकों के पद रिक्त रह गये.

इंटर साइंस का रिजल्ट खराब होने के कई कारण हैं. उनके विद्यालय में कला का 91 फीसदी व वोकेशनल का रिजल्ट 99 फीसदी हुआ है. रिजल्ट खराब होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि शिक्षक के पढ़ाने का पैटर्न पुराना है. पैटर्न में बदलाव से रिजल्ट में सुधार हो सकता है. मीना कुमारी, प्राचार्या, एसएस प्लस टू उवि डोरंडा

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