फोटो : ट्रैक पर है रांची. आरडीसीआइएस ने विशिष्ट इस्पात एलॉय का ईजाद किया है जो सावर गैस (हाइड्रोजन सल्फाइड) के संक्षारण प्रभाव से मुक्त है. इस एलॉय से बने गैस एवं तेल की परिवहन पाइपों मंे हाइड्रोजन प्रेरित क्रेकिंग एवं ब्लिस्टरिंग की संभावनाएं नगण्य हैं. आरडीसीआइएस के कार्यपालक निदेशक डॉ बीके झा ने बताया कि देश की पेट्रो रसायन कंपनियां इन पाइपों का आयात विदेशों से करती रही हैं, जिनमें करोड़ों की विदेशी मुद्रा की लागत आती है. अंतरराष्ट्रीय मानक संस्था अमेरिकन पेट्रोलियन इंस्टीच्यूट (एपीआइ) के अनुसार इसमें गंधक की मात्रा 0.002 फीसदी से कम होनी चाहिए, जिससे देश में इसका उत्पादन अत्यंत कठिन है. लेकिन तांबे से युक्त इस एलॉय में यह खूबी है कि वह अतिरिक्त हाइड्रोजन को प्रवेश करने से रोकती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावनाएं कम हैं. इसके अतिरिक्त इसकी लागत आयातित इस्पात से काफी कम है. श्री झा के बताया कि सेल विभिन्न पेट्रो रसायन कंपनियों के संपर्क में है तथा समुचित प्रयोगों के बाद इसका अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण की शीघ्र पहल होगी. इस सृजनशीलता के लिए केंद्र के डॉ सर्वानन को नेशनल एसोसिएशन ऑफ करोजन इंजीनियर्स (नेस) की ओर से मुंबई में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में नेस अवार्ड से नवाजा गया है.
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सेल ने विशिष्ट इस्पात एलॉय का ईजाद किया
फोटो : ट्रैक पर है रांची. आरडीसीआइएस ने विशिष्ट इस्पात एलॉय का ईजाद किया है जो सावर गैस (हाइड्रोजन सल्फाइड) के संक्षारण प्रभाव से मुक्त है. इस एलॉय से बने गैस एवं तेल की परिवहन पाइपों मंे हाइड्रोजन प्रेरित क्रेकिंग एवं ब्लिस्टरिंग की संभावनाएं नगण्य हैं. आरडीसीआइएस के कार्यपालक निदेशक डॉ बीके झा ने बताया […]
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