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‘संप्रभु राष्ट्र’ की शह पर चरमपंथ हो सकता है बेहद खतरनाक

संयुक्त राष्ट्र में कनाडा ने भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित कीएजेंसियां, संयुक्त राष्ट्रमुंबई आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ता लश्कर-ए-तैयबा के संदर्भ में कनाडा ने पाकिस्तान की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए कहा है कि 26/11 दिखाता है कि यदि चरमपंथ को ‘एक संप्रभु राष्ट्र की शह मिलती है’, तो यह अनुमान से कहीं अधिक […]

संयुक्त राष्ट्र में कनाडा ने भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित कीएजेंसियां, संयुक्त राष्ट्रमुंबई आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ता लश्कर-ए-तैयबा के संदर्भ में कनाडा ने पाकिस्तान की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए कहा है कि 26/11 दिखाता है कि यदि चरमपंथ को ‘एक संप्रभु राष्ट्र की शह मिलती है’, तो यह अनुमान से कहीं अधिक खतरनाक हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र मंे कनाडा के उप स्थायी प्रतिनिधि माइकल ग्रांट ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की छठी बरसी से पूर्व भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित की.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद के मुकाबले के संबंध में 19 नवंबर को एक उच्च स्तरीय बहस में ग्रांट ने इस बात पर जोर दिया कि ‘हिंसक चरमपंथ की लहरों’ ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को निशाना बनाया. लश्कर के आतंकवादियों ने मुंबई में तीन दिन तक तबाही मचायी और ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताज महल होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा और एल्बलैस हॉस्पिटल, मेट्रो सिनेमा, सीएसटी रेलवे स्टेशन तथा चबाड़ हाउस को निशाना बनाया गया था. हमलों में 166 लोग मारे गये थे और 300 से अधिक घायल हुए थे.

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