एजेंसियां, वाशिंगटनअंतरिक्ष में एक सेटेलाइट ‘ऑब्जेक्ट 2014-28ई’ दिखा है, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. सेटेलाइट पर नजर रखनेवाले कुछ लोगों को लगता है कि यह अंतरिक्ष में घूम रहे बेकार उपग्रहों के कचरे से स्वत: बन गया है, तो कुछ को लग रहा है कि किसी अन्य सेटेलाइट को ईंधन देने या रिपेयर करने के लिए इसे भेजा गया होगा. कुछ का यह भी मानना है कि यह दुश्मनों को खत्म करने का सामान है.नेविगेशन सिस्टम बनाने के लिए रूस ने मई में तीन सेटेलाइट भेजे थे, लेकिन इस संदिग्ध चीज के बारे में कुछ नहीं बताया गया. शुरु आत में इसे कचरा माना गया, लेकिन इसने कलाबाजियां खायीं, तो अमेरिका ने इसे उपग्रह की श्रेणी में डाल दिया.बुधवार सुबह दक्षिण प्रशांत महासागर के ऊपर ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के बीच दिखे इस सेटेलाइट को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है. माना जा रहा है कि इसने अपना टारगेट हासिल कर लिया है.चोरी-चुपके बन रहे हैं किलर सेटेलाइटवर्ष 1950 में एंटी सेटेलाइट हथियार बनने शुरू हुए. रूस ने 1960 में दूसरे उपग्रहों के करीब उड़ने और उसे तबाह करने के लिए फाइटर सेटेलाइट डिजाइन किया. आधिकारिक तौर पर वह कार्यक्रम बंद हो गया, लेकिन माना जा रहा है कि चीन और अमेरिका अब भी ऐसे हथियार बना रहे हैं. इनसे उन उपग्रहों को उड़ाया जाता है, जिनके धरती पर गिरने की संभावना होती है.
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रूस ने लांच किया किलर सेटेलाइट
एजेंसियां, वाशिंगटनअंतरिक्ष में एक सेटेलाइट ‘ऑब्जेक्ट 2014-28ई’ दिखा है, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. सेटेलाइट पर नजर रखनेवाले कुछ लोगों को लगता है कि यह अंतरिक्ष में घूम रहे बेकार उपग्रहों के कचरे से स्वत: बन गया है, तो कुछ को लग रहा है कि किसी अन्य सेटेलाइट को ईंधन देने […]
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