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स्विट्जरलैंड से द्वीप देशों तक काला धन

एजेंसियां, नयी दिल्ली/बर्नभारत द्वारा विदेशों में जमा संदिग्ध काले धन के खिलाफ अपनी जांच का दायरा बढ़ाने के बीच ऐसा लगता है कि काले धन की पहुंच तो स्विट्जरलैंड से बहुत आगे कई द्वीपीय देशों दुबई, सिंगापुर, लग्जमबर्ग व साइप्रस से वैश्विक वित्तीय केंद्रों तक है. स्विट्जरलैंड ने उन मामलों में सहयोग करने तथा जानकारी […]

एजेंसियां, नयी दिल्ली/बर्नभारत द्वारा विदेशों में जमा संदिग्ध काले धन के खिलाफ अपनी जांच का दायरा बढ़ाने के बीच ऐसा लगता है कि काले धन की पहुंच तो स्विट्जरलैंड से बहुत आगे कई द्वीपीय देशों दुबई, सिंगापुर, लग्जमबर्ग व साइप्रस से वैश्विक वित्तीय केंद्रों तक है. स्विट्जरलैंड ने उन मामलों में सहयोग करने तथा जानकारी साझा करने पर सहमति जतायी है, जिनमें भारतीय अधिकारियों की जांच में प्रथम दृष्टया ‘कर अपराध’ सामने आया हो. कई ऐसे मामलों, जिनमें सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है, में संलिप्त इकाइयां व लेन-देन स्विट्जरलैंड की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला है.इस तरह के मामलों की वास्तविक संख्या तो पता नहीं चली है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि स्विट्जरलैंड तथा भारतीय अधिकारियों के बीच मौजूदा सहयोग से आगे की जांच के लिए कई और बातें सामने आ रही हैं. भारत इनमें से अनेक देशों के साथ द्विपक्षीय कर सूचना आदान प्रदान संधियों को मजबूत बना रहा है, लेकिन ‘तकनीकी मदद’ के लिए और अधिक जोर दिये जाने की जरूरत होगी.विशेष जांच दल (एसआइटी) काला धन की जांच कर रहा है. इसमें भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा करायी अघोषित राशि से जुड़े मामले भी शामिल हैं. एसआइटी ने हाल ही में सरकार को सौंपी एक रपट में कहा था कि भारत तथा कर के लिहाज से पनाहगाह माने जानेवाले देशों के बीच आपराधिक कानूनी संधि का अभाव भी विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने में एक प्रमुख बाधा है.इस दौरान कुछ बैंकों की भूमिका भी जांच के दायरे में आयी है. इनमें से कुछ बैंक स्विट्जरलैंड से बाहर के हैं. इन बैंकों पर संदिग्ध काला धन धारकों के साथ मिल कर काम करने तथा उनके धन के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ का वादा करने का संदेह है.जी-20 का 2017 तक कर सूचना आदान-प्रदान व्यवस्था बनाने का संकल्पब्रिसबेन. दुनिया के 20 विकासशील और विकसित देशों के समूह जी-20 के नेताओं ने सदस्य देशों के बीच कर सूचना आदान-प्रदान की व्यवस्था करने को लेकर प्रतिबद्धता जतायी. साथ ही कंपनियों द्वारा मुनाफे को एक से दूसरे देश में स्थानांतरित करने जैसी समस्याओं से निबटने की कार्य योजना पर भी सहमत हुए. कंपनियां उचित कर का भुगतान करें, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करनेवाली इस योजना को वर्ष 2015 तक अंतिम रूप दे दिया जायेगा. काला धन की समस्या पर अंकुश लगाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत बार-बार इस मुद्दे को उठाता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा जी-20 शिखर सममेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून समेत अन्य नेताओं ने भाग लिया. जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी बयान में कहा गया है कि वर्ष 2017 या 2018 तक स्वत: एक-दूसरे तथा अन्य देशों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान शुरू करेंगे. बाद में जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत के शेरपा सुरेश प्रभु ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ने काला धन पर अंकुश लगाने के मामले को पुरजोर तरीके से रखा. भारत काला धन प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. यह बेहद जरूरी है, क्योंकि कर पनाहगाह देशों के कर आधार में संकुचन की आशंका खड़ी कर रहे हैं.बोले प्रभुत्रलाभ पर टैक्स वहां लगना चाहिए, जहां आर्थिक गतिविधियों से मुनाफा हुआ और मूल्य सृजित हुआत्रअभी सिर्फ संदिग्ध कर चोरी या अन्य वित्तीय अपराध के मामले में अनुरोध के आधार पर सूचनाएं साझा की जाती हैंत्रनयी व्यवस्था में सभी देश सालाना आधार पर स्वत: सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगेसमान मानकपेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओइसीडी) द्वारा तैयार कर सूचना के स्वत: आदान-प्रदान के नये वैश्विक मानक सभी देशों के लिए समान होंगे. इन मानकों के तहत जिस देश में कंपनियां मोटा कर चुका रही हैं, वह देश संबंधित कंपनी के गृह देश को कंपनी की विभिन्न स्रोतों से आय और संपत्तियों के बारे में सूचनाएं समय-समय पर प्रेषित करती रहेगी.वित्तीय संस्थानों की जिम्मेदारी बढ़ेगीसालाना आधार पर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के लिए बैंकों, ब्रोकरों तथा फंड हाउस समेत वित्तीय संस्थानों को अनिवार्य रूप से अपने ग्राहकों से जरूरी ब्योरा हासिल करना होगा और उसे संबंधित नियामकों को देना होगा.घटनाक्रम भारत के लिए खासा अहमत्रदेशों को बनाना होगा घरेलू कानूनयह घटनाक्रम भारत के लिए खासा अहम है, क्योंकि उसे संदिग्ध कर चोरी के मामले में दूसरे देशों खासकर स्विट्जरलैंड से सूचना प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. स्विट्जरलैंड कहता रहा है कि वह स्विस बैंक के भारतीय ग्राहक द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के बारे में साक्ष्य मिले बिना इस प्रकार का ब्योरा साझा नहीं कर सकता. हालांकि, सूचनओं के स्वत: आदान-प्रदान में गोपनीयता उपबंध तथा अन्य एहतियाती उपाय होंगे. देशों को इस प्रकार का सहयोग प्राप्त करने के लिए अपनी वैधानिक व्यवस्था के अनुरूप घरेलू कानून बनाना होगा.जी-20 ने कहाहम विकासशील देशों के कर प्रशासन क्षमता तथा कर सूचना के स्वत: आदान-प्रदान (एइओआइ) को लागू करने के लिए विकासशील देशों के साथ मिल कर काम करेंगे. हम सीमा पार अनुपालन गतिविधियों पर हमारे कर प्राधिकरणों द्वारा आगे और सहयोग का स्वागत करते हैं.वर्ल्ड जीडीपी में 2,000 अरब डॉलर से अधिक वृद्धि का संकल्पभू-राजनीतिक तनाव के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने के मकसद से जी-20 देशों ने बुनियादी ढांचे में निवेश तथा व्यापार बढ़ा कर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच साल में 2,000 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि का संकल्प लिया. इससे वर्ष 2018 के अंत तक जी-20 देशों की अर्थव्यवस्था में दो फीसदी की वृद्धि होगी. बयान के अनुसार, निवेश, व्यापार, प्रतिस्पर्धा तथा रोजगार बढ़ाने के उपायों के साथ वृहद आर्थिक नीतियों से विकास और समावेशी वृद्धि के साथ असमानता तथा गरीबी दूर करने में मदद मिलेगी. जी-20 नेताओं ने चार साल के अधिकार के साथ एक वैश्विक ढांचागत केंद्र बनाने पर सहमति जतायी, जो सरकारों, निजी क्षेत्र, विकास बैंकों तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच ज्ञान साझा करनेवाला प्लेटफॉर्म और नेटवर्क विकसित करने में योगदान करेगा.अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने कहायूक्रेन में दखल न दे रूसअमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने रूस से यूक्रेन में दखल न देने का आग्रह किया. उससे मलयेशियाई एयरलाइन के जेट विमान के पीडि़तों को न्याय दिलाने की मांग की, जिसे कथित तौर पर रूस समर्थक उग्रवादियों ने गिराया था. पश्चिमी देशों ने आरोप लगाया कि पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक विद्रोहियों ने रूस द्वारा आपूर्ति की गयी मिसाइल का उपयोग कर विमान को गिराया था. मॉस्को ने आरोपों पर कड़ा प्रतिवाद जताया.सम्मेलन छोड़ कर गये पुतिन, कहामैं थोड़ा सोना चाहता हूंजी-20 सम्मेलन में यूक्रेन संकट के कारण पश्चिमी देशों के निशाने पर आये रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रविवार को ऑस्ट्रेलिया से रवाना हो गये. यहां से निकलते हुए उन्होंने कहा कि वे थोड़ी जल्दी जा रहे हैं, क्योंकि थोड़ा सोना चाहते हैं. जी-20 की अंतिम विज्ञप्ति जारी होने से पहले ही निकल गये थे और इसका यूक्रेन मुद्दे से कोई ताल्लुक नहीं है. उन्होंने इस वार्षिक मंच के अंतिम दोपहर भोज में शिरकत की और ‘सकारात्मक’ चर्चाओं की सराहना की.समुद्री विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का अनुरोधबराक ओबामा के विवादास्पद क्षेत्र को लेकर चीन के विरोध के कारण एशिया में संघर्ष के खतरों को लेकर आगाह किये जाने के एक दिन बाद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान ने समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया. चीन का दक्षिण चीन सागर में चार दक्षिण एशियाई देशों और कुछ द्वीपों को लेकर जापान के साथ भी विवाद है.डब्ल्यूटीओ व्यापार समझौते पर भारत-अमेरिका के बीच सहमति का स्वागतजी 20 के नेताओं ने खाद्यान्न भंडारण के मुद्दे पर भारत व अमेरिका के बीच बनी सहमति का स्वागत किया. उम्मीद जतायी कि इससे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बातचीत फिर पटरी पर आ जायेगी तथा व्यापार सरलीकरण समझौते के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा. आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन के लिए यह जरूरी है.मर्केल ने मोदी के साथ जर्मन भाषा का मुद्दा उठायाभारत में केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत के विकल्प के तौर पर जर्मन भाषा को हटाने का मुद्दा जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत में उठाया. मोदी ने उन्हें भारतीय प्रणाली की सीमाओं के भीतर इस पर विचार करने का आश्वासन दिया. मर्केल ने प्रधानमंत्री को जर्मनी आने का भी न्योता दिया.

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