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लोकपाल, सीवीसी की नियुक्ति नहीं होगी अमान्य

-नेता विपक्ष की अनुपस्थिति में संवैधानिक निकायों की नियुक्तियों पर एजी ने दी अपनी राय-नेता प्रतिपक्ष पद पर कांग्रेस की दावेदारी पर लोकसभा सचिवालय ने मांगी थी एजी से रायएजेंसियां, नयी दिल्लीलोकसभा में विपक्ष के मान्यता प्राप्त नेता की अनुपस्थिति लोकपाल और सीवीसी समेत विभिन्न संवैधानिक निकायों की नियुक्तियों को अमान्य नहीं करेगी. अटॉर्नी जनरल […]

-नेता विपक्ष की अनुपस्थिति में संवैधानिक निकायों की नियुक्तियों पर एजी ने दी अपनी राय-नेता प्रतिपक्ष पद पर कांग्रेस की दावेदारी पर लोकसभा सचिवालय ने मांगी थी एजी से रायएजेंसियां, नयी दिल्लीलोकसभा में विपक्ष के मान्यता प्राप्त नेता की अनुपस्थिति लोकपाल और सीवीसी समेत विभिन्न संवैधानिक निकायों की नियुक्तियों को अमान्य नहीं करेगी. अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता के मुद्दे पर अपना विचार रखते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि संसद में एक संसदीय दल या समूह को मान्यता प्रदान करने की शक्ति सिर्फ लोकसभा अध्यक्ष के हाथों में होती है.लोकसभा में विपक्ष का नेता लोकपाल, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ), केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन करनेवाली चयन समिति का सदस्य होता है. संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पत्र लिखकर विपक्ष के नेता का पद कांग्रेस प्रत्याशी को देने की मांग की थी. इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में एजी से राय मांगी थी. एजी ने 23 जुलाई के अपने पत्र में सचिवालय को जवाब भेज दिया.अटॉर्नी जनरल की रायसभी चार अधिनियम (मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993, सीवीसी अधिनियम 2003, आरटीआइ अधिनियम 2005 और लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम 2013) में यह उल्लिखित है कि कसी भी अधिनियम के अंतर्गत समिति में महज किसी सदस्य की जगह खाली होने के आधार पर चयन को अमान्य नहीं किया जा सकता. इन चार अधिनियमों में से कम से कम दो (सीवीसी और आरटीआइ) में यह स्पष्ट कहा गया है. संसद ने भी इस संबंध में अपना उद्देश्य साफ किया है. अर्थात् ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जब लोकसभा अध्यक्ष से मान्यता प्राप्त लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं हो.

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