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उच्च न्यायालय ने उम्र कैद की सजा रखी बरकरार

अबोध बच्चे के अपहरण और हत्या के जुर्म का मामलाएजेंसियां, नयी दिल्लीदिल्ली उच्च न्यायालय ने पांच साल के बच्चे का अपहरण कर उसकी हत्या करने के जुर्म में एक व्यक्ति की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने 2009 में पांच वर्षीय लक्ष्य की हत्या […]

अबोध बच्चे के अपहरण और हत्या के जुर्म का मामलाएजेंसियां, नयी दिल्लीदिल्ली उच्च न्यायालय ने पांच साल के बच्चे का अपहरण कर उसकी हत्या करने के जुर्म में एक व्यक्ति की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने 2009 में पांच वर्षीय लक्ष्य की हत्या के जुर्म में भैरो सिंह को उम्र कैद की सजा देने के निचली अदालत के फैसले से सहमति व्यक्त की. अदालत ने बच्चे की बहन और उसके पड़ोसी की गवाही को भरोसेमंद पाया. अदालत ने कहा कि अभियुक्त ही लक्ष्य को टॉफी देने के बहाने अपने साथ ले गया था. निचली अदालत ने भैरो सिंह को पांच फरवरी, 2013 को लक्ष्य की हत्या का दोषी ठहराते हुए उसे उम्र कैद की सजा सुनायी थी. अदालत ने उसपर आठ हजार रुपये जुर्माना भी किया था. भैरो सिंह ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. अभियोजन के अनुसार 13 अक्तूबर, 2009 को लक्ष्य अपनी बहन के साथ खेल रहा था, तभी भैरो उसे टॉफी देने के बहाने अपने साथ ले गया था. भैरो लक्ष्य के एक रिश्तेदार की दुकान पर काम करता था. यह बालक जब वापस नहीं आया, तो उसके पिता सुशील कुमार ने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी. बाद में पुलिस को बच्चे का शव 16 अक्तूबर, 2009 को एक अस्पताल के बाहर नाले से मिला था. इसके बाद पुलिस ने छापा मारकर भैरो को गिरफ्तार किया था. मुकदमे की सुनवाई के दौरान भैरो ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि उसके पास से बरामद सामान तो पुलिस ने ही उसके पास रखा था.

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