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बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप

फोटो….सुनील देंगे.चाइल्ड मैरेज विषयक राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजनसंवाददाता, रांचीबाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है. इससे समाज खोखला हो रहा है. बाल विवाह का प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव है. जिस समाज में बेटियों की शिक्षा पर जोर नहीं दिया जाता, वहां बाल विवाह की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं. झारखंड में कई […]

फोटो….सुनील देंगे.चाइल्ड मैरेज विषयक राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजनसंवाददाता, रांचीबाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है. इससे समाज खोखला हो रहा है. बाल विवाह का प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव है. जिस समाज में बेटियों की शिक्षा पर जोर नहीं दिया जाता, वहां बाल विवाह की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं. झारखंड में कई ऐसे जिले हैं, जहां बाल विवाह की घटनाएं ज्यादा होती हैं. बाल विवाह के कारण ही मातृ मृत्यु दर बढ़ रही है. मोरहाबादी स्थित होटल पार्क प्राइम में शुक्रवार को चाइल्ड मैरेज विषयक कार्यशाला में रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ रमेश शरण ने ये बातें कहीं. भारत में बाल विवाह की स्थिति व प्रभाव के संबंध में उन्होेंने विस्तार से जानकारी दी. राज्य स्तरीय कार्यशाला का उदघाटन स्वास्थ्य सेवा झारखंड के डायरेक्टर इन चीफ डॉ सुमंत मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया. अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत लीड्स के निदेशक एके सिंह ने किया. यूनिसेफ की प्रतिनिधि प्रीति श्रीवास्तव ने झारखंड में बाल विवाह की स्थिति व इससे संबंधित कानूनों की जानकारी दी. कार्यशाला में प्रभात खबर के स्थानीय संपादक विजय पाठक ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम में छह जिलों के कार्यकर्ता व स्वयंसेवी शामिल हुए. कार्यक्रम का संचालन रजत मिश्रा ने किया. धन्यवाद ज्ञापन बर्नाली चक्रवर्ती ने किया. छह जिलों में कार्यक्रम संचालित होगालोहरदगा ग्राम स्वराज संस्थान के सचिव सीपी यादव ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि चाइल्ड मैरेज प्रोग्राम दस स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा राज्य के छह जिलों में संचालित किया जायेगा. इनमें लोहरदगा, लातेहार, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला जिले शामिल हैं. वर्ष 2015 तक बाल विवाह में 50 फीसदी कमी का लक्ष्य इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2015 तक बाल-विवाह की दर में पचास फीसदी कमी लानी है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए गांव में युवा मित्रों का चयन व प्रशिक्षण, युवा क्लब को सशक्त करना, किशोरियों को शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोड़ना व उनके अभिभावकों को संवेदनशील बनाना है. चाइल्ड मैरेज कानून के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जायेगा.

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