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मनोचिकित्सक से बातचीत स्टोरी

बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं. इनको आप जिस रूप में गढ़ेंगे वे उसी तरह बनते हैं. वे जिस माहौल में होते हैं, उसी के अनुरूप स्वयं को ढालने की कोशिश करते हैं. माहौल यदि सकारात्मक रहा, तो बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. माहौल सही नहीं रहा, तो इनको बिगड़ते देर नहीं लगती. पैरेंट्स […]

बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं. इनको आप जिस रूप में गढ़ेंगे वे उसी तरह बनते हैं. वे जिस माहौल में होते हैं, उसी के अनुरूप स्वयं को ढालने की कोशिश करते हैं. माहौल यदि सकारात्मक रहा, तो बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. माहौल सही नहीं रहा, तो इनको बिगड़ते देर नहीं लगती. पैरेंट्स कुम्हार की तरह होते हैं. बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं. इन्हीं से वह समाज को जानते हैं. इसलिए बच्चों के लिए पैरेंट्स और उनका व्यवहार काफी महत्वपूर्ण होता है. यह मानना है शहर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ अमूल रंजन सिंह का. बाल दिवस के मौके पर उन्होंने लाइफ @ रांची से बातचीत में बच्चे व पैरेंट्स को दिये टिप्स. …………………………..बच्चों को लिए ……………….पैरेंट्स से कुछ न छुपायेंबच्चे के लिए उनके माता-पिता और गुरुजन ही परामर्शी होते हैं. जब भी आपको लगे कि आप दुविधा वाली स्थिति में हैं, अपने पैरेंट्स से बात करें. कोई भी बात उनसे छुपायें नहीं. स्कूल की परेशानी हो या फिर हेल्थ संबंधी परेशानी अपने पैरेंट्स के साथ साझा करें. …………………..सोशल साइट्स से बचें आज के समय में बच्चे वास्तविक (एक्चुअल) लाइफ से ज्यादा वर्चुअल लाइफ में रहने लगे हैं. अपनी बात अपने पैरेंट्स से ज्यादा सोशल साइट्स पर शेयर करना पसंद करते हैं. इससे बचने की जरूरत है. यह सही है कि ये सभी चीजें समय की मांग है, लेकिन जीवन के लिए अनिवार्य नहीं है. ……………………..रूटिन का होना आवश्यक जीवन में रूटिन का होना आवश्यक होता है. दिन भर के समय को कुछ इस तरह से बांटे कि हर काम के लिए समय निकल जाये. पढ़ाई और खेल दोनों ही आवश्यक है. दोनों के बीच सामंजस्य बिठाते हुए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है. इसलिए अपने रूटिन में एक्सरसाइज को शामिल करें. …………………………………………….अभिभावक क्या करें………………………….बच्चों पर करें विश्वासपैरेंट्स (अभिभावक) के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों पर विश्वास करें. आपके बच्चे उनके द्वारा लाये जाने वाले मार्क्स से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. बच्चों के लिए समय निकालें. आपका व्यवहार उनके बीच मित्रवत हो. घर का माहौल स्वस्थ बनाने का प्रयास करें. कलह को सामने न लायेंहर परिवार में मतभेद वाली बात होती है. ऐसे मतभेदों का छोटे बच्चों पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ता है. ऐसे में प्रयास करें आपसी कलह को बच्चों के सामने न लायें. बच्चे के साथ आपका व्यवहार क्रूरता पूर्ण न हो. हर बच्चे में अलग तरह की क्षमता होती है. कभी उसकी तुलना अन्य बच्चों के साथ न करें. आपका यह व्यवहार उन्हें चिड़-चिड़ा बनाता है. बच्चों की क्षमता को जानेंउनकी क्षमता को जानने का प्रयास करें. इसके अनुरूप ही उन्हें कैरियर चुनने में मदद करें. आप अपनी लाइफ में जो नहीं कर पाये हैं, उसे अपने बच्चे पर न थोपें. पैसा जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन पैसे को जीवन न बनने दें. ज्यादातर पैरेंट्स बच्चे का सुविधाएं देकर अपने दायित्वों की इतिश्री मानते हैं. यह गलत है. छोटे बच्चों के पैरेंट्स धीरे-धीरे अपने बच्चों को सामाजिक ज्ञान देने का प्रयास करें. इसकी शुरुआत घर से ही करें. उन्हें बड़ों-छोटों से कैसे बात करनी चाहिए. यह सीखाएं.

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