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राज्यों के प्रमुख सचिवों की बुलायें बैठक

बेघरों के लिए आश्रय : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया आदेशएजेंसियां, नयी दिल्लीबेघर लोगों को आश्रय उपलब्ध करवाने की खातिर अब तक उठाये गये कदमों का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों की बैठक बुलाने के लिए कहा है. प्रधान न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अगुवाईवाली तीन […]

बेघरों के लिए आश्रय : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया आदेशएजेंसियां, नयी दिल्लीबेघर लोगों को आश्रय उपलब्ध करवाने की खातिर अब तक उठाये गये कदमों का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों की बैठक बुलाने के लिए कहा है. प्रधान न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अगुवाईवाली तीन सदस्यीय पीठ ने शहरी विकास मंत्रालय से देश भर के सभी बेघर लोगों को आवश्यक अस्थायी आवास मुहैया कराने के लिए उठाये गये कदमों और किये गये उपायों का पता लगाने को भी कहा. पीठ ने कहा, ‘यह अपेक्षा है कि शहरी विकास मंत्रालय का एक जिम्मेदार व्यक्ति यह पता लगाने के लिए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की एक बैठक बुलायेगा कि शहरी बेघर लोगों के लिए योजना का कार्यान्वयन करने की खातिर क्या कदम उठाये गये.’ पीठ में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल हैं. तीन हफ्ते के अंदर दाखिल करें रिपोर्ट पीठ ने कहा कि अब तक किये गये कार्यों के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट तीन सप्ताह के अंदर दाखिल की जाये और दस दिन के भीतर मुख्य सचिवों की बैठक बुलायी जाये. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में बेघर लोगों से संबंधित ममाले में सुनवाई नहीं करेगी, क्योंकि दिल्ली हाइकोर्ट इस पर पहले ही सुनवाई कर रहा है और मामले के घटनाक्रम पर नजर रख रहा है.हलफनामे से कुछ भी हो सकता कुछ राज्यों द्वारा दाखिल हलफनामे को पढ़ते हुए ‘हलफनामे से हम कुछ भी नहीं कर सकते. यह स्पष्ट ही नहीं है कि उन्होंने क्या किया है.’ बहरहाल, दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 231 रात्रि आश्रय गृह तैयार किये जा चुके हैं, जिनमें से 84 आश्रय गृह स्थायी हैं, जहां 17,000 बेघर लोगों को आश्रय मिल सकता है. एक पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली सरकार की जनगणना के अनुसार, शहर में करीब 39,000 लोग बेघर हैं और सरकार का दावा है कि वह सिर्फ 17,000 लोगों को ही आश्रय मुहैया करा सकती है. इन आश्रय गृहों में पानी और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है.पहले भी दिया था आदेश इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उप्र, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों से जाड़े का मौसम शुरू होने से पहले पर्याप्त संख्या में आश्रय गृह बनवाने को कहा था. साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा था कि ऐसा न करने पर उन्हें इसके परिणाम का सामना करना पड़ेगा. पीठ अधिवक्ता ईआर कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकारों को आश्रय गृह बनवाने का आदेश देने का आग्रह किया गया था. कोर्ट आश्रय का अधिकार मूलभूत अधिकार है. राज्य के लिए सर्वाधिक संवेदनशील, कमजोर, गरीबों और बेघर लोगों की जान की रक्षा करने से ज्यादा महत्वपूर्ण और कुछ नहीं है. बेघर लोगों पर फुटपाथों और सड़कों पर रहते समय हमेशा जान का खतरा बना रहता है और खास तौर पर उत्तर भारत में, जानलेवा तथा हाड़ कंपा देनेवाली ठंड के दौरान यह खतरा और अधिक बढ़ जाता है.सुप्रीम कोर्ट

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